Surendra Mohan Pathak

Surendra Mohan Pathak

सुरेन्द्र मोहन पाठक

सुरेन्द्र मोहन पाठक का जन्म 19 फ़रवरी, 1940 को खेमकरण, अमृतसर, पंजाब में हुआ। विज्ञान में स्नातक की उपाधि लेने के बाद आप इंडियन टेलीफ़ोन इंडस्ट्रीज़में नौकरी करने लगे। पढ़ने के शौक़ीन पाठक जी ने मात्र 20 वर्ष की उम्र में ही अन्तरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त उपन्यासकार इयान फ्लेमिंग रचित जेम्स बांडसीरीज़ और जेम्स हेडली चेज़ (James Hadley Chase) के उपन्यासों का अनुवाद करना शुरू कर दिया था।

सन् 1949 में आपकी पहली कहानी, ‘57 साल पुराना आदमी’, ‘मनोहर कहानियाँनामक पत्रिका में प्रकाशित हुई। आपका पहला उपन्यास पुराने गुनाह नए गुनाहगारसन् 1963 में नीलम जासूसनामक पत्रिका में छपा था। 1963 से 1969 तक आपके उपन्यास विभिन्न पत्रिकाओं में छपते रहे।

सुरेन्द्र मोहन पाठक के सबसे प्रसिद्ध उपन्यास असफल अभियानऔर खाली वारथे। इनके प्रकाशन के बाद पाठक जी प्रसिद्धि के सर्वोच्च शिखर पर पहुँच गए। इसके बाद अब तक पीछे मुडक़र नहीं देखा है। 1977 में छपे आपके उपन्यासपैंसठ लाख की डकैतीकी अब तक ढाई लाख प्रतियाँ बिक चुकी हैं। जब इसका अनुवाद अंग्रेजी में प्रकाशित हुआ तब इसकी ख़बर टाइममैगज़ीन में भी प्रकाशित हुई। पाठक जी के अब तक 300 से अधिक उपन्यास छप चुके हैं और वे अपने शुरुआती जीवन की कथा न बैरी न कोई बेगानानाम से लिख चुके हैं।

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