Agnipath Ki Rahi Nasira Sharma
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अग्निपथ की राही : नासिरा शर्मा
नासिरा शर्मा का साहित्यिक वितान बहुत व्यापक है। उनकी रचनाओं के पात्र हर वर्ग, हर नस्ल और हर धर्म के हैं, किन्तु उनके दर्द, आकांक्षाएँ, अन्तविरोध, दुःख-सुख और संघर्ष सहज, स्वाभाविक और सजीव हैं। उनकी सूक्ष्म दृष्टि और द्वन्द्रात्मकता, देश, काल और परिवेश को जीवंत बना देती है। वहाँ आर्थिक मज़बूरी भी है, सामाजिक पाबन्दियाँ भी हैं, कानूनी अड़चने भी हैं, राजनीतिक चालें भी हैं, किन्तु सभी घटनाओं के पीछे मानवीय संवेदनाएँ हैं, ढक़ो की लड़ाई की सुगबुगाहट है। न अतिरंजित पुरातनता है, न फैशनेबुल आधुनिकता – बल्कि रास्ता तलाशने की कोशिश में एक ठहराव और गम्भीरता है।
रोमानियत, कल्पना, इन्द्र, यथार्थ और विवेक के अनेक धूपछाँही रंग यहाँ अन्तिम परिणति में चौंकाते हैं। उनकी रचनाएँ दर्द की दासतां कहते समाज का आईना हैं, जो मानवीय रिश्तों की खोज करती हैं, जो रूढ़ियों और घुटन के अँधेरों से निकल कर नई उम्मीदों की रोशनी की चाहत लिए हैं। एक बेबाक बेलौसपन और निडरता उनकी रचनाओं में अन्तर्निहित है।
देश की सुख समृद्धि के लिए नासिरा शर्मा का निष्कर्ष इस प्रकार है – यह जिम्मेदारी देश के जवान माँ-बाप पर है कि वे अपने नए जन्मे बच्चे को ऐसा संस्कार दे जो वह पहले हिन्दुस्तानी बने, बाद में हित आता इससे दंगे-फसाद खत्म होंगे। जो वर्ग ‘बाटों और राज करो’ की नीति अपना कर दूसरों की सुरक्षा, शांति, जानमाल की कीमत पर अपनी जेबें भरते हैं, उनके लिए जरूरी है कि वे अब नया काम-धंधा तलाश करें और मेहनत की रोटी कमाने पर विश्वास करें और दूसरों का गला काटना और कटवाना बंद करें। बस, अब बहुत हो चुका।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2015 |
Pulisher |
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