Akhtari : Soz Aur Saaz Ka Afsana

-25%

Akhtari : Soz Aur Saaz Ka Afsana

Akhtari : Soz Aur Saaz Ka Afsana

395.00 295.00

In stock

395.00 295.00

Author: Yatindra Mishra

Availability: 9 in stock

Pages: 276

Year: 2019

Binding: Paperback

ISBN: 9789388684828

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

अख्तरी : साज और साज का अफसाना

उन्होंने अपनी ठुमरियों और दादरों में पूरबी लास्य का जो पुट लगाया, उसने दिल टूटने को भी दिलकश बना दिया।

– सलीम किदवई

उनके माथे पर शिकन न होती, ख़ूबसूरत हाथ हारमोनियम पर पानी की तरह चलते, वह आज़ाद पंछी की तरह गातीं।

– शीला धर

ऐसा मालूम होता था, जैसे उन्होंने उस सबको जज़्ब कर लिया हो, जो उनकी ग़ज़लें व्यक्त करती थीं, जैसे वे बड़ी गहराई से उस सबको महसूस करती हों, जो उनके गीतों के शायरों ने अनुभव किया था।

– प्रकाश वढेरा

मैं ग़ज़ल इसलिए कहता हूँ, ताकि मैं ग़ज़ल यानी बेगम अख़्तर से नज़दीक हो जाऊँ।

– कैफ़ी आज़मी

वे बेहतरी की तलाश में थीं, वे नफ़ासत से भरी हुई थीं और वज़ादारी की तलबगार थीं।

– शान्ती हीरानन्द

एक यारबाश और शहाना औरत, जिसने अपनी तन्हाई को दोस्त बनाया और दुनिया के फ़रेब से ऊपर उठकर प्रेम और विरह की गुलूकारी की।

– रीता गांगुली

उनकी लय की पकड़ और समय की समझ चकित करती है। समय को पकड़ने की एक सायास कोशिश न लगकर ऐसा आभास होता है, जैसे वो ताल और लयकारी के ऊपर तैर रही हों।

– अनीश प्रधान

वो जो दुगुन-तिगुन के समय आवाज़ लहरा के भारी हो जाती थी, वही तो कमाल का था बेगम अख़्तर में।

– उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ

भारतीय उपशास्त्रीय संगीत गायन में बेगम अख़्तर का योगदान अतुलनीय है। ठुमरी की उन विधाओं की प्रेरणा और विकास के लिए, जिन्हें आज हम ‘अख़्तरी का मुहावरा’ या ‘ठुमरी का अख़्तर घराना’ कहते हैं।

– उषा वासुदेव

Additional information

Authors

Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2019

Pulisher

Reviews

There are no reviews yet.


Be the first to review “Akhtari : Soz Aur Saaz Ka Afsana”

You've just added this product to the cart:

error: Content is protected !!