Amarpur

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Author: Vivek Kumar Shukla

Availability: 4 in stock

Pages: 132

Year: 2025

Binding: Paperback

ISBN: 9789362872852

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

अमरपुर

विवेक कुमार शुक्ल का उपन्यास ‘अमरपुर’ एक क़स्बे की कहानी है लेकिन महज़ एक क़स्बे की कहानी नहीं है। इसमें एक विश्वविद्यालय की कहानी है लेकिन महज़ एक विश्वविद्यालय की कहानी नहीं है। इसमें राजनीति की कहानी है लेकिन महज़ राजनीति की कहानी नहीं है। यह असल में एक क़स्बे की बदलती हुई राजनीति, समाजनीति की कहानी है। वह भी एक ऐसे बदलते हुए दौर की कहानी जिसमें पहचानें बदल रही हैं, प्रतीक बदल रहे हैं और सबसे बढ़कर मुहावरे बदल रहे, रूपक बदल रहे। उपन्यास की कहानी मुग्धा और यामिनी की कहानी भी है जो प्रेम की बँधी-बँधाई परिभाषा में फ़िट नहीं हो पा रही है। सब कुछ बँधा- बँधाया लगते हुए भी अमरपुर में कुछ भी बँधा-बँधाया नहीं है। कबीर का क़स्बा धार्मिक उन्मादियों के क़स्बे में बदल चुका है।

उपन्यास की भाषा व्यंग्यात्मक है और बहुत मारक भी, जिसमें मज़ाक़-मज़ाक़ में देश की बदलती हुई राजनीतिक संरचना पर गहरा कटाक्ष है, जातीय ढाँचे पर गहरा व्यंग्य है और इस बदलते हुए देश में रिश्तों की एक अलग-सी संरचना को लेकर गम्भीरता से कुछ प्रश्न उठाये गये हैं। क़स्बाई स्त्री-प्रेम की यह कहानी अपने आप में बहुत नयापन लिये है और समकालीन समाज के प्रश्नों से टकराती हुई दिखाई देती है। विवेक कुमार शुक्ल के इस उपन्यास से गुज़रना अपने आप में भारत के बदलते हुए परिवेश से दो-चार होना है, जिसमें वह शक्ति है जो अपने पाठ तथा लेखन-शैली के साथ पढ़ने वाले को बहा ले जाती है।

इसमें कोई सन्देह नहीं है कि यह अपने ढंग का अकेला उपन्यास है जो हिन्दी की बहुत बड़ी रिक्तता को भरता हुआ प्रतीत होता है। समकालीन राजनीति की गहरी धार भी है इसमें और प्रेम की गहरी मार भी है।

— प्रभात रंजन

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Paperback

Language

Hindi

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Publishing Year

2025

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