Anbhai Sancha

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Anbhai Sancha

Anbhai Sancha

495.00 375.00

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495.00 375.00

Author: Manager Pandey

Availability: 5 in stock

Pages: 300

Year: 2014

Binding: Hardbound

ISBN: 9789350009444

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

अनभै साँचा

अनभै साँचा सुपरिचित हिन्दी आलोचक प्रो. मैनेजर पाण्डेय के आलोचनात्मक लेखन का एक चयन है जिसमें उनके गत तीस वर्षों के महत्त्वपूर्ण निबन्धों को संकलित किया गया है। इस चयन में पाठक देखेंगे कि भक्तिकाव्य की पुनर्मीमांसा से लेकर आलोचना और इतिहास के अन्तःसम्बन्ध और रचना के स्तर पर उनकी चिन्ताओं का विश्लेषण, उपन्यास के समाजशास्त्रीय अध्ययन की प्रवृत्तियों के अनुशीलन के साथ-साथ उपन्यास की सामाजिकता के विश्लेषण की आवश्यकता का निरूपण, हिन्दी की मार्क्सवादी आलोचना की सीमाओं और सम्भावनाओं का पर्यवेक्षण, समकालीन हिन्दी कविता की चुनौतियों और उससे उबरने के सूत्रों का विवेचन तो है ही, त्रिलोचन, रघुवीर सहाय, कुमार विकल और वरवर राव की कविताओं का सम्यक परीक्षण भी है।

इन कवियों पर विचार करते हए प्रो. पाण्डेय ने समकालीन कविता को देखने-परखने के कई निकष दिए हैं जिनमें जनशक्ति में आस्था, जीवन-संघर्ष के प्रति राग, प्रकृति के प्रति प्रेम, काव्यानुभूति की संस्कृति, कथ्य के प्रति तन्मयता और सच्चाई, अपने समय और समाज के प्रति दायित्वों का बोध, तात्कालिक कथ्यों पर लिखी जानेवाली कविताओं में स्थायी अभिप्रायों की खोज, रोज़मर्रा जीवन की सामान्य घटनाओं पर सृजन, कविता का सहज रूप और आत्मीय रचाव, घटनाओं के संयोजन में तटस्थता, अनुभव और भाषा की एकान्विति, अपने समय के संशय और अँधेरे की खोज, स्मृति की रचनात्मक सम्भावना की खोज, कविता में ईमानदार पारदर्शिता, नैतिक विवेक का दायित्व, अपने समय की यातना के प्रति बेचैनी, विस्मयकारी यथार्थ की अभिव्यक्ति के लिए विरूपता के बोध में सक्षम कला चेतना, ब्योरों में से नये अर्थ और संकेतों की खोज जैसे निकष समकालीन हिन्दी कविता ही नहीं, भारतीय कविता को भी उसकी सम्पूर्णता में परखने में समर्थ हैं।

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Hardbound

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Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2014

Pulisher

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