Acharya Hazari Prasad Dwivedi Ki Jai Yatra
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Description
आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी की जय-यात्रा
हिंदी आलोचना के शिखर-पुरुष नामवर सिंह और उनके प्रेरणा-पुंज गुरु आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी मिलकर एक ऐसा प्रकाश-युग्म निर्मित करते हैं जिसकी रौशनी में बीसवीं सदी की न सिर्फ आलोचना, बल्कि सम्पूर्ण रचना-दृष्टि अपनापथ प्रसस्त करती है।
यह पुस्तक इस युग्म की मनीषा का संयुक्त प्रक्षेपण है; इसमें नामवर सिंह की दृष्टि में आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी आलौकिक होते हैं और आचार्य द्विदेवी के आलोक में नवर जी की इतिहास-प्रवर्तक आलोचक मेधा प्रकाशित। ये निबंध सीरम आलोचना से सम्बन्ध नहीं रखते, इनमें उपन्यास-सुलभ पठनीयता भी है और संस्मरण, रेखाचित्र और जीवनी जैसी जिज्ञासा-प्रेरक विवरणात्मकता भी। विचार, जैसाकि स्वाभाविक है, निरन्तर इन आलेखों की रीढ़ भी है, मांस भी और त्वचा भी।
नामवर सिंह के व्यक्तित्व, दृष्टि और प्रतिभा का सबसे सघन और उज्ज्वल प्रतिफलन आचार्य द्विवेदी से सम्बंधित लेखन में हुआ है, लेकिन ध्यान देने की बात यह है कि वास्तव में आचार्य द्विवेदी ने जिस तरह बाणभट्ट के माध्यम से अपना अन्वेषण किया था, उसी तरह नामवर सिंह ने आचार्य द्विवेदी के माध्यम से अपनी दूसरी परंपरा की खोज की।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Pages | |
Publishing Year | 2017 |
Pulisher | |
Language | Hindi |
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