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Description
अपनी खबर
अपनी खबर लेना और अपनी खबर देना-जीवनी साहित्य की दो बुनियादी विशेषताएँ हैं। और फिर उग्र जैसे लेखक की ‘अपनी खबर’। उनके जैसी बेबाकी, साफगोई और जीवन्त भाषा-शैली हिन्दी में आज भी दुर्लभ है। उग्र-पाण्डेय बेचन शर्मा ‘उग्र’ – हिन्दी के प्रारम्भिक इतिहास के एक स्तम्भ रहे हैं और यह कृति उनके जीवन के प्रारम्भिक इक्कीस वर्षों के विविधता भरे क्रिया-व्यापारों का उद्घाटन करती है।
हिन्दी के आत्मकथा-साहित्य में ‘अपनी खबर’ को मील का पत्थर माना जाता है। अपने निजी जीवनानुभवों, उद्वेगों और घटनाओं को इन पृष्ठों में उग्र ने जिस खुलेपन से चित्रित किया है, उनसे हमारे सामने मानव-स्वभाव की अनेकानेक सच्चाइयाँ उजागर हो उठती हैं। यह स्वाभाविक भी है, क्योंकि मनुष्य का विकास उसकी निजी अच्छाइयों-बुराइयों के बावज़ूद अपने युग-परिवेश से भी प्रभावित होता है। यही कारण है कि आत्मकथा- साहित्य व्यक्तिगत होकर भी सार्वजनीन और सार्वकालिक महत्व रखता है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Pages | |
Publishing Year | 2022 |
Pulisher | |
Language | Hindi |
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