Aranyapantha

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Author: Sanjay Tignath

Availability: 4 in stock

Pages: 103

Year: 2015

Binding: Hardbound

ISBN: 9788126727810

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

अरण्यपंथा

अरन्यपन्था’ अरन्यपन्था में वे समस्त मौलिक दुविधाएँ अंतर्निहित हैं जो ज्ञान के गहन प्रांतरों में विद्यमान हैं, क्योंकि अरन्यपन्था उन्हीं के अपार और संकीर्ण पथ से निकलती है। इसमें मात्र आशय है किन्तु प्रयोजन स्पष्ट नहीं है। यदि परोजन के आग्रह को त्यागा जा सकता हो तो संभवतः अरन्यपन्था रुचिकर लगे। मैंने उपनिषद ग्रंथों का पुनर्ध्ययन किया और यहाँ पाया कि मैं उनकी अनुभूतियों को पहले की अपेक्षा अधिक निकटता से अनुभव कर रहा था, तथापि अरन्यपन्था न तो वैज्ञानिक व्याख्याओं में घुसती है और न ही उपनिषद को अपने तर्क का हिस्सा बनाने की चेष्टा करती है। सचमुच उपनिषद को तो इस पुस्तक के कथ्य में बिना स्पर्थ करते हुए ही मात्र आनन्द के स्त्रोत की तरह उद्धृत किया गया है।

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Hardbound

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Publishing Year

2015

Pulisher

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Hindi

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