Bali

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299.00 240.00

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Author: Girish Karnad

Availability: 10 in stock

Pages: 80

Year: 2018

Binding: Hardbound

ISBN: 9788183617970

Language: Hindi

Publisher: Radhakrishna Prakashan

Description

बलि
मौजूदा समय में नैतिक ईमानदारी का अभिप्राय सिर्फ उसको सिद्ध कर देने-भर से होता है। वह कोई सामाजिक संस्था हो या राजनितिक अथवा न्यायिक, जिसको भी हमसे जवाब तलब करने का अधिकार है, उसे संतुष्ट करने के लिए बस इतना काफी है कि हम सबूतों के आधार पर अपनी पवित्रता को साबित कर दें। और, दुर्भाग्य से ईश्वरीय सत्ता भी उसी श्रेणी में आ गई लगती है। लेकिन नैतिकता की एक कसौटी अपना आत्म भी है और यही वह प्रमाणिक कसौटी है जो हमें हिप्पोक्रेसी और सच साबित कर दिए गए असत्यों की तहों में दुबके सतत दरों से हमें मुक्त करती है, हमारे पार्थिव संसार में सच्चाई और नैतिकता की व्यावहारिक स्थापना करती है।

यह नाटक इसी कसौटी के बारे में है। नाटक का विषय पशु-बलि है और कथा बताती है कि बलि आखिर बलि है, वह जीते-जागते जीव की हो या आटे से बने पशु की। हिंसा तो तलवार चलाने की क्रिया में है, इसमें नहीं कि वह किस पर चलाई गयी है। हिंसा का यह विषयनिष्ठ, सूक्ष्म और उद्धेलक विश्लेषण गिरीश करनाड ने एक पौराणिक कथा के आधार पर किया है जिसे उन्होंने तेरहवीं सदी के एक कन्नड़ महाकाव्य से लिया है। गिरीश करनाड के नाटक हमेशा ही सभ्यता के शास्वत द्वंदों को रेखांकित करते हैं, यह नाटक भी उसका अपवाद नहीं है।

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Binding

Hardbound

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Publishing Year

2018

Pulisher

Language

Hindi

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