Bhartiya Bhashaon Mein Ramkatha : Pahadi Bhasha
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भारतीय भाषाओं में रामकथा – पहाड़ी
भारतीय संस्कृति के विभाजन को केन्द्र में रखते हुए भारतीय भाषाओं एवं राज्यों को पृथक्-पृथक् खंडों में बाँटने वाले विदेशी राजतन्त्रों के कारण भारत बराबर टूटते हुए भी, अपने सांस्कृतिक सन्दर्भों के कारण, अब भी एक सूत्रा में बँधा है। एकता के सूत्रा में बाँधने वाले सन्दर्भों में राम, कृष्ण, शिव आदि के सन्दर्भ अक्षय हैं।
भारतीय संस्कृति अपने आदिकाल से ही राममयी लोकमयता की पारस्परिक उदारता से जुड़ी सम्पूर्ण देश, उसके विविध प्रदेशों एवं उनकी लोक व्यवहार की भाषाओं में लोकाचरण एवं सम्बद्ध क्रियाकलापों से अनिवार्यतः हजारों-हजारों वर्षों से एकमेव रही है। सम्पूर्ण भारत तथा उसकी समन्वयी चेतना से पूर्णतः जुड़ी इस भारतीय अस्मिता को पुनः भारतीयों के सामने रखना और इसका बोध कराना कि पश्चिमी सभ्यता के विविध रूपों से आक्रान्त हम भारतीय अपनी अस्मिता से अपने को पुनः अलंकृत करें।
भारतीय भाषाओं में रामकथा को जन-जन तक पहुँचाने का यह हमारा विनम्र प्रयास है। पहाड़ी भाषा में रामकथा का अति महत्त्व है। आज के परिवर्तनशील युग में मानव आधुनिकता की दौड़ में, चकाचौंध में सुखशान्ति की अपेक्षा रखता है, जो नितान्त असम्भव है। भारतीय संस्कृति के उच्च आदर्श, नैतिकता, सामाजिकता का जो निदर्शन रामकथा में लक्षित होता है, उनका थोड़ा-सा भी चिन्तन-मनन करें, तो मानव को एक स्वर्गिक आनन्द की प्राप्त होगी, जिसकी आज के युग में महती आवश्यकता है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2015 |
Pulisher |
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