- Description
- Additional information
- Reviews (0)
Description
छूटी सिगरेट भी कमबख्त
रवीन्द्र कालिया के इस संस्मरण-संग्रह का शीर्ष आलेख छूटी सिगरेट भी कमबख्त आज पढ़कर वे दिन याद आते हैं जब कई मौकों पर उन्होंने सिगरेट छोड़नी चाही मगर नाकामयाब रहे। हर सिगरेट-प्रेमी की दिक्कत यही है की वह सोचता है-वह कल से सिगरेट पिन छोड़ देगा। कभी होंठ जले तो कभी उँगलियाँ, कभी दृ जली तो कभी बिस्तर लेकिन छूटी वह तब जब शरीर ने बगावत करनी शुरू की।
Additional information
Authors | |
---|---|
Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2023 |
Pulisher |
Reviews
There are no reviews yet.