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Description
दक्षिण भारत के मंदिर
मंदिर भारतीय स्थापत्य कला के सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्मारक हैं, जो भारतीय संस्कृति के सारभूत मूल्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं। मंदिरों के वास्तुशिल्प में परिवर्तन, मूर्ति पूजा तथा संबंधित पूजार्चन कर्मकांड के संस्थापन के बाद ही संभव हुआ, जिसे रूप लेने में कुछ समय लगा। देश के उत्तर, दक्षिण तथा अन्य भागों में मंदिर स्थापत्य का विकास इसके बाद ही हुआ। यह पुस्तक दक्षिण भारतीय मंदिरों के कालक्रमानुसार अविराम विकास की विशद छवि प्रस्तुत करती है। साथ ही कलांतर में मंदिर स्थापत्य के विकास की सूक्ष्म बातों का निर्देशन तथा उसकी शैलीगत क्षेत्रीय विभिन्नताओं की व्याख्या भी करती है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2022 |
Pulisher |
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