Dukkham Sukkham

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Dukkham Sukkham

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270.00 240.00

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Author: Mamta Kaliya

Availability: 9 in stock

Pages: 274

Year: 2020

Binding: Paperback

ISBN: 9788126319336

Language: Hindi

Publisher: Bhartiya Jnanpith

Description

दुक्खम सुक्खम

‘मनीषा जानती है दादी की याद में कहीं कोई स्मारक खड़ा नहीं किया जाएगा। न अचल न सचल। उसके हाथ में यह कलम है। वही लिखेगी अपनी दादी की कहानी।’ यशस्वी कथाकार ममता कालिया का उपन्यास ‘दुक्खम सुक्खम’ दादी विद्यावती और पौत्री मनीषा के मध्य समाहित/सक्रिय समय एवं समाज की अनूठी गाथा है। इस आख्यान में तीन पीढ़ियों की सहभागिता है। मथुरा में रहनेवाले लाला नत्थीमल और उनकी पत्नी विद्यावती से यह आख्यान प्रारम्भ होता है। दूसरी पीढ़ी है लीला, भग्गो, कविमोहन और कवि की पत्नी इन्दु। कवि-इन्दु की दो बेटियाँ प्रतिभा और मनीषा तीसरी पीढ़ी का यथार्थ हैं। ममता कालिया ने मथुरा की पृष्ठभूमि में इस उपन्यास को रचा है। वैसे कथा के सूत्र दिल्ली, आगरा और बम्बई तक गये हैं।

‘दुक्खम सुक्खम’ जीवन के जटिल यथार्थ में गुँथा एक बहुअर्थी पद है। रेल का खेल खेलते बच्चों की लय में दादी जोड़ती हैं ‘कटी जिन्दगानी कभी दुक्खम कभी सुक्खम।’ यह खेल हो सकता है किन्तु इस खेल की त्रासदी, विडम्बना और विसंगति तो वही जान पाते हैं जो इसमें शामिल हैं। परम्पराओं-रूढ़ियों में जकड़े मध्यवर्गीय परिवार की दादी का अनुभव है ‘इसी गृहस्थी में बामशक़्क़त क़ैद, डंडाबेड़ी, तन्हाई जाने कौन कौन सी सज़ा काट ली’। एक तरह से यह उपन्यास श्रृंखला की बाहरी-भीतरी कड़ियों में जकड़ी स्त्रियों के नवजागरण का गतिशील चित्र और उनकी मुक्ति का मानचित्र है।

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Paperback

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Publishing Year

2020

Pulisher

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Hindi

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