Ek thi Sara

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Ek thi Sara

Ek thi Sara

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Author: Amrita Pritam

Availability: 5 in stock

Pages: 160

Year: 2018

Binding: Hardbound

ISBN: 9788188125531

Language: Hindi

Publisher: Jagat Ram And Sons

Description

एक थी सारा

एक थी सारा मेरी तहरीरों से कई घरों ने मुझे थूक दिया है लेकिन मैं उनका जायका नहीं बन सकती मैं टूटी दस्तकें झोली में भर रही हूँ ऐसा लगता है पानी में कील ठोक रही हूँ हर चीज़ बह जाएगी—मेरे लफ्ज, मेरी औरत यह मशकरी गोली किसने चलाई है अमृता ! जुबान एक निवाला क्यूँ कुबूल करती है ? भूख एक और पकवान अलग-अलग देखने के लिए सिर्फ ‘चाँद सितारा’ क्यूँ देखूँ ? समुंदर के लिए लहर ज़रूरी है औरत के लिए जमीन जरूरी है अमृता ! यह ब्याहने वाले लोग कहाँ गए ? यह कोई घर है ? कि औरत और इजाजत में कोई फर्क नहीं रहा… मैंने बगावत की है, अकेली ने, अब अकेली आंगण में रहती हूँ कि आजादी से बड़ा कोई पेशा नहीं देख ! मेरी मज़दूरी, चुन रही हूँ लूँचे मास लिख रहीं हूँ कभी मैं दीवारों में चिनी गई, कभी बिस्तर से चिनी जाती हूँ…

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Authors

Binding

Hardbound

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Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2018

Pulisher

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