Faiz Ki Sahyari : Ek Juda Andaj Ka Jadu

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Faiz Ki Sahyari : Ek Juda Andaj Ka Jadu

Faiz Ki Sahyari : Ek Juda Andaj Ka Jadu

450.00 360.00

In stock

450.00 360.00

Author: Murli Manohar Prasad Singh

Availability: 5 in stock

Pages: 316

Year: 2011

Binding: Hardbound

ISBN: 9788126721450

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

फैज की शायरी : एक जुदा अंदाज का जादू

बीसवीं सदी के विश्व-कवियों में पाब्लो नेरदा, नाजिम हिकमत, ब्रेख्त और महमूद दरवेश के साथ फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ का नाम अभिन्‍न रूप से जुड़ा हुआ है। हिंदुस्तान-पाकिस्तान और बांग्लादेश अर्थात्‌ इस महाद्वीप के कवियों में रवीन्द्रनाथ टैगोर और इकबाल के बाद फ़ैज़ को ही हम लोग याद करते हैं।

फ़ैज़ आजादी, समाजवाद, सहज मानवीय ममता और गहरी प्रेमानुभूति के शायर के रूप में मशहूर रहे हैं। उनकी गजलें और नज्में लोगों की स्मृतियों में बस गई हैं और उनकी ज़बान पर चढ़ी हुई हैं। फ़ैज़ की शायरी आम लोगों की मुसीबतों, संघर्षों और अटूट संकल्पों की ऐसी गाथा है जिसे उर्दू ही नहीं, हिंदी के पाठक भी अपनी साहित्यिक विरासत का हिस्सा मानते हैं।

फ़ैज़ के कलमकार और शायर के सम्पूर्ण रचनाकर्म पर हिंदी में यह पहली आलोचनात्मक पुस्तक है। इस किताब में उनके समकालीन मुल्कराज आनंद, सिब्ते हसन, सज्जाद जहीर, वज़ीर आगा के लेख तो हैं ही, उनके अलावा उर्दू के बड़े लेखकों में मुहम्मद हसन, शमीम हनफ़ी, अली मुहम्मद सिद्दीकी, जुबैर रज॒वी, शमीम फ़ैजी और अली अहमद फ़ातमी की आलोचनात्मक कृतियां इस पुस्तक में संकलित कर ली गई हैं।

इस किताब की दूसरी बड़ी ख़ूबी यह है कि शमशेर बहादुर सिंह के बाद इसमें हिंदी के अनेक महत्त्वपूर्ण रचनाकारों ने जन्मशताब्दी वर्ष में फ़ैज़ पर पहली बार लिखा है। मसलन केदारनाथ सिंह, अशोक वाजपेयी, असग़र वजाहत, राजेश जोशी, मंगलेश डबराल, मनमोहन, असद जैदी, कृष्ण कल्पित, अरुण कमल, प्रणय कृष्ण, वैभव सिंह के लेखों के साथ तीनों संपादकों की अलग-अलग ढंग से लिखी आलोचनात्मक कृतियां इस किताब का विशेष आकर्षण हैं।

दृश्य-श्रव्य कलाओं के मर्मज्ञ सुहैल हाशमी, इतिहासकार जहूर सिद्दीकी, युवा लेखिका अर्जुमंद आरा और पंजाबी के मशहूर लेखक सत्तिंदर सिंह नूर के लेखों के कारण इस किताब में अनेक अनछुए प्रसंगों पर भी भरपूर चर्चा की गई है।

इस पुस्तक को छह लेखकों-विद्धानों की टोली ने भरपूर मेहनत के साथ तैयार किया है। इनमें तीन संपादक हैं जिन्हें रेखा अवस्थी, जवरी मल्‍ल पारख और संजीव कुमार जैसे सहयोगी संपादकों के कठिन अध्यवसाय और परिश्रम की सहायता मिलती रही है।

हिंदू-उर्दू और पंजाबी भाषी लोग इस पुस्तक को अवश्य ही पसंद करेंगे।

Additional information

Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Pages

Publishing Year

2011

Pulisher

Language

Hindi

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