Garhwali Muhawaron Kahawaton Ka Vrahat Sangrah
₹595.00 ₹475.00
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Author: Pushkar Singh Kandari
Pages: 392
Year: 2022
Binding: Paperback
ISBN: 9788181431318
Language: Hindi
Publisher: Vani Prakashan
गढ़वाली मुहावरों और कहावतों का वृहत् संग्रह
गढ़वाली मुहावरों और कहावतों का प्रस्तुत वृहत् संग्रह जीवनोपयोगी उपदेशों, निर्देशों, मार्गदर्शक ज्ञान के कैपसूलों का कोशाकार में विशाल भण्डार है। गढ़वाली बोली-भाषा में अब तक प्रकाशित अन्य संग्रहकर्ताओं की तुलना में सबसे बड़ा और बेजोड़ संग्रह है। किसी अन्य भाषाओं में इतने ‘मुहावरे और कहावतें’ नहीं मिलेंगी जितनी गढ़वाली के इस संग्रह में मिलेंगी। इस संग्रह द्वारा गढ़वाल मण्डल की बोली-भाषा के शब्द सामर्थ्य, बोली वैभव, गढ़वाल की कला, संस्कृति, इतिहास, प्राचीन और अर्वाचीन सामाजिक, आर्थिक और ऐतिहासिक जीवन की झाँकी के दर्शन होते हैं। मुहावरों- कहावतों का देवनागरी हिन्दी में भावार्थ, अंतःकथा तथा फुटनोट पर गढ़वाली के कठिन शब्दों का यथासम्भव हिन्दी अर्थ भी दिया गया है। पाठकों की सुविधा के लिए संग्रह को कोशाकार का रूप दिया गया है।
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Binding | Paperback |
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Language | Hindi |
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Publishing Year | 2022 |
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पुष्कर सिंह कण्डारी
जन्म : 1 जनवरी 1929
शैक्षिक योग्यता : एम.ए. (अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, इतिहास), एल. टी., साहित्यरत्न।
कार्यक्षेत्र : रा. इ. का. अगस्त्यमुनि में स. अध्यापक। रा. इ. का. खेड़ारवाल और श्रीनगर में 18 वर्षों तक प्रधानाचार्य, पौड़ी गढ़वाल और टिहरी गढ़वाल में जिला विद्यालय निरीक्षक।
सार्वजनिक क्रियाकलाप : प्रारम्भ से ही सार्वजनिक हिताय संगठनों, सांस्कृतिक, साहित्यिक और शैक्षिक क्रियाकलापों से जुड़े हैं।
लेखन कार्य : 85 हिन्दी कविताएँ, 25 गढ़वाली गीत-कविताएँ, 15 हिन्दी, 7 गढ़वाली नाटक, ज्ञान-गंगा में डुबकियाँ, एक उपन्यास ‘व्यथा’, गढ़वाली शब्द भण्डार, गढ़वाली के टेलीग्राफ़िक शब्द-संग्रह, पर्वतीय अंचल में जनश्रुतियाँ और विश्वास, कुछ सुनी कुछ भुगती, मन्दाकिनी घाटी का सांस्कृतिक इतिहास आदि। धनाभाव में अप्रकाशित, प्रकाशन के लिए प्रयासरत।
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