- Description
- Additional information
- Reviews (0)
Description
गोरखधंधा
जब पैसा ही धर्म बन जाए, पैसा ही कर्म बन जाए तो सारे संबंध, सारी नैतिकता अर्थहीन हो जाते हैं। जब पैसा कमाना ही एक मात्र उद्देश्य हो तो इंसान का खु़राप़फ़ाती दिमाग़ कोई न कोई तिकड़म करता रहता है। कुछ ऐसे भी लोग होते है जो रेत में तेल निकाल लेते हैं। इस नाटक का मुख्य किरदार ऐसा ही व्यक्ति है, जो लोगों से पैसा ऐंठने के लिए सारे रास्ते अपनाता है और गिरगिट की तरह रंग बदलता है। देखने और सुनने से लगता है कि वह मदद कर रहा है, परोपकार कर रहा है, दूसरों का भला कर रहा है। दरअसल वह भलाई की आड़ में अपना भला कर रहा होता है। उसका कहना है कि बेईमानी भी ईमानदारी से करता है। कुलमिलाकर ‘गोरखधंधा’ सत्यकथाओं पर आधारित एक असत्य हास्य नाटक है।
Additional information
Authors | |
---|---|
Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2020 |
Pulisher |
Reviews
There are no reviews yet.