Gorakhgatha

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Author: Ram Shankar Mishra

Availability: 9 in stock

Pages: 231

Year: 2020

Binding: Paperback

ISBN: 9789389598551

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

गोरखगाथा

सत्यान्वेषी महायोगी गोरक्षनाथ का व्यक्तित्व कालातीत रहा है। भारतीय धर्म-साधना और योग-दर्शन को अपनी बौद्धिक धारणाओं से जीवन्त, वैज्ञानिक, प्रत्यक्षवाद से अभिप्रेरित आध्यात्मिकता एवं दार्शनिकता प्रदान करते हुए उन्होंने ऐसे योग मार्ग का प्रवर्तन किया, जिसका लक्ष्य पारमार्थिक धरातलों को परिभाषित करना था। महायोगी गोरक्षनाथ एक महान समाज-दृष्टा थे। भारतीय इतिहास में मध्यकाल को संक्रान्ति काल भी कहा जाता है। इस युग में भोगवाद की प्रतिष्ठा थी। उच्च वर्ग भोगवादी था और निम्न वर्ग भोग्य था। महायोगी गोरक्षनाथ ने सामाजिक पुनरुत्थान तथा सामाजिक नवादर्शों की प्रस्थापना के लिए उस भोगात्मक साधना का प्रबल विरोध किया। वे निम्न वर्ग और समाज के लिए आराध्य देवता के रूप में प्रतिष्ठित हो गए थे। योग और कर्म की सम्यक् साधना उन्होंने की थी। गोरक्षनाथ योगमार्गी होते हुए भी एक महान रचनाधर्मी साधक थे। उन्होंने हिन्दी और संस्कृत भाषाओं में अनेक ग्रंथों की रचना की थी।

गोरक्षनाथ के शब्दों में अनुशासन भी है और बेलाग फक्कड़पन भी। उनकी काव्याभिव्यक्तियों में कबीर की काव्य-वस्तु के स्रोत मिलते हैं। गोरक्षनाथ अन्याय तथा शोषण के प्रति तेजस्वी हस्तक्षेप थे। पीड़ितों एवं शोषितों को दुःख तथा शोषण से मुक्ति दिलान के लिए उन्होंने जनन्दोलनों का भी प्रवर्तन किया था। वे यायावर थे। दक्षिणात्य और आर्यावर्त में भ्रमण करते रहे और जनभाषा तथा जनसंस्कृति का साक्षात्कार करते रहे। अनेक जनश्रुतियाँ उनके व्यक्तित्व को महिमामंडित करने के लिए प्रचलित हैं। लेकिन इस औपन्यासिक कृति में मिथकों को तद् रूपों में स्वीकार न करते हुए वैज्ञानिक दृष्टि से उनका विश्लेषण किया गया है। यात्रा-वृत्तांत और जीवनी के आस्वाद से भरपूर यह उपन्यास भारतीय आध्‍यात्मिक इतिहास के एक महत्त्वपूर्ण दौर से परिचित कराता है।

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Paperback

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Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2020

Pulisher

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