Gujrat Ke Baad

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Gujrat Ke Baad

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250.00 210.00

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Author: Jagannath Prasad Das

Availability: 5 in stock

Pages: 80

Year: 2021

Binding: Hardbound

ISBN: 9788126726165

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

गुजरात के बाद

कविता संवेदना और विचार के सहमेल से यथार्थ को उसकी समग्र सम्भावना के साथ व्यक्त करती है। जगन्नाथ प्रसाद दास की कविताओं को पढ़ते हुए निरन्तर अनुभव होता है कि कविता समकालीन यथार्थ के साथ परम्परा के संघर्ष को भी प्रकट करती है।

‘गुजरात के बाद’ की कविताएँ गहन आत्मानुभूति से उपजी हैं। परिवेश का प्रभाव तो है ही, कवि ने स्मृतियों को टटोलते हुए अर्थ की पूँजी सहेजी है। इन कविताओं में उम्मीद का उजाला है। यह उजाला विषाद के क्षणों में भरोसा दिलाता है। कवि ने हमारे समय के संकटों को कई जगह संकेतित किया है। अरण्य की पंक्तियाँ हैं : वनस्पति की सघनता को भेदकर लकड़हारे की पदचाप सुनाई पड़ती है सहज कलरव का अविरल छन्द हठात् थम जाता है इतिहास की अन्तिम कथा-सा। जगन्नाथ प्रसाद दास की इन मूलत: ओड़िया कविताओं का अनुवाद करते समय राजेन्द्र प्रसाद मिश्र ने कविता की बहुअर्थी प्रकृति का ध्यान रखा है।

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Authors

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Hardbound

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Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2021

Pulisher

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