Hindi Aalochana Ka Doosra Path

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Hindi Aalochana Ka Doosra Path

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180.00 162.00

In stock

180.00 162.00

Author: Nirmala Jain

Availability: 5 in stock

Pages: 208

Year: 2023

Binding: Text

ISBN: 9788126726578

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

हिन्दी आलोचना का दूसरा पाठ

अनुसन्धान, सिद्धान्त-निरूपण, पांडित्यपूर्ण अध्ययन, साहित्येतिहास आदि आलोचना के लिए उपयोगी हो सकते हैं, खुद आलोचना नहीं हो सकते। आलोचना के इस वास्तविक स्वरूप का उद्घाटन आचार्य रामचन्द्र शुक्ल बहुत पहले कर चुके थे। आलोचना का सही सन्दर्भ और उसकी सार्थकता की सच्ची कसौटी रचना ही हो सकती है और होती है।

कहने की आवश्यकता नहीं कि समकालीन रचनात्मक साहित्य की समीक्षा सार्थक आलोचना की पहली जिम्मेदारी है। इस दृष्टि से आलोचना के विकास में गम्भीरता से की गई पुस्तक-समीक्षाओं की भूमिका असन्दिग्ध है। ऐसी ही समीक्षाओं के बीच से अक्सर आलोचना का विकास होता है – बशर्ते समीक्षक की वस्तुनिष्ठता और ईमानदारी सन्देहातीत हो।

इसी क्रम में पूर्ववर्ती रचनाओं और रचनाकारों के पुर्नमूल्यांकन के प्रयास भी सामने आते हैं। सिद्धान्त-निरूपण और पूर्वकालीन कृतियों की ये व्याख्याएँ समकालीन रचनाओं की समीक्षा के सन्दर्भ में ही प्रासंगिकता प्राप्त करती हैं। हिन्दी आलोचना के किसी इतिहास का मुख्य लक्ष्य इसी प्रासंगिकता की प्रतिष्ठा होना चाहिए। इस दृष्टि से देखने पर हिन्दी आलोचना का पूरा परिदृश्य ही नए रूप में उद्घाटित होता है। आज आवश्यकता हिन्दी आलोचना के इतिहास को उसके समुचित परिदृश्य में रखने की ही है। इस कृति में इसी परिदृश्य का साक्षात्कार करने का प्रयास किया गया है।

भूमिका से

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Publishing Year

2023

Pulisher

Language

Hindi

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