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Hindi Sahitya Ka Vaigyanik Ithas : Vols. 1-2
₹1,500.00 ₹1,250.00
₹1,500.00 ₹1,250.00
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Author: Ganpati Chandra gupt
Pages: 1008
Year: 2018
Binding: Hardbound
ISBN: 9788180312045
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
हिन्दी साहित्य का वैज्ञानिक इतिहास : भाग-1-2
हिन्दी-साहित्य के इतिहास-लेखन की दीर्घ-परम्परा में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का कार्य उसका वह मध्यवर्ती प्रकाश-स्तम्भ है, जिसके समक्ष सभी पूर्ववर्ती प्रयास आभा-शून्य प्रतीत होते हैं। इस समय तक हिन्दी-साहित्य के इतिहास का जो ढाँचा, रूप-रेखा, काल-विभाजन एवं वर्गीकरण प्रचलित है, वह बहुत कुछ आचार्य शुक्ल के द्वारा ही प्रस्तुत एवं प्रतिष्ठित है।
इतिहास-लेखन के अनन्तर हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में प्रर्याप्त अनुसंधान-कार्य हुआ है जिससे नयी सामग्री, नये तथ्य और नये निष्कर्ष प्रकाश में आये हैं जो आचार्य शुक्ल के वर्गीकरण-विश्लेषण आदि के सर्वथा प्रतिकूल पड़ते हैं। आचार्य शुक्ल एवं उनके अनुयायी वीरगाथा काल, भक्तिकाल एवं रीतिकाल-तीन अलग-अलग काल कहते हैं, वे एक ही काल के साथ-साथ बहनें वाली तीन धारायें हैं। इतिहास का सम्बन्ध अतीत की व्याख्या से है तथा प्रत्येक व्याख्या के मूल में व्याख्याता का दृष्टिकोण अनुस्युत रहता है।
प्रस्तुत इतिहास में प्रयुक्त दृष्टिकोण को ‘‘वैज्ञानिक दृष्टिकोण’’ की संज्ञा दी जा सकती है। इन दृष्टिकोण के अनुसार किसी पुष्ट सिद्धान्त या प्रतिष्ठित नियम के आधार पर वस्तु की तथ्यपरक, सर्वांगीण एवं बौद्धिक व्याख्या सुस्पष्ट शैली में प्रस्तुत करने का प्रयास किया जाता है। अस्तु, दृष्टिकोण, आधारभूत सिद्धान्त, काल-विभाजन, नयी परम्पराओं के उद्घाटन तथा उर्जा-स्रोतों व प्रवृत्तियों की व्याख्या की दृष्टि से इस इतिहास में शताधिक नये निष्कर्ष प्रस्तुत हुए हैं।
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Binding | Hardbound |
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Language | Hindi |
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Publishing Year | 2018 |
Pulisher |
डॉ. गणपतिचन्द्र गुप्त
जन्म : १५ जुलाई सन् १९२८ ई. मंढ़ा (सुरेरा) राजस्थान में।
शिक्षा : पंजाब विश्वविद्यालय से एम.ए. (हिन्दी) पी-एच.डी. एवं डी. लिट् की उपाधियाँ प्राप्त कीं।
गतिविधियाँ : पंजाब विश्वविद्यालय, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, रोहतक विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय एवं आगरा विश्वविद्यालय में प्रोफेसर, और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय एवं कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में कुलपति के पद पर भी कार्य किया।
प्रकाशित रचनाएँ : ‘साहित्य-विज्ञान’, ‘हिन्दी साहित्य का वैज्ञानिक इतिहास’, ‘रस-सिद्धान्त का पुनर्विवेचन’, ‘साहित्यिक निबन्ध’, ‘हिन्दी-काव्य में शृंगार-परम्परा’, ‘महाकवि बिहारी’, ‘श्री सत्य साईं बाबा : व्यक्तित्व एवं संदेश’, ‘शिरडी साईं बाबा : दिव्य महिमा’ आदि।
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