Kashmir Jeet Ya Haar

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Kashmir Jeet Ya Haar

Kashmir Jeet Ya Haar

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Author: Balraj Madhok

Availability: 5 in stock

Pages: 216

Year: 2017

Binding: Paperback

ISBN: 9788188388523

Language: Hindi

Publisher: Hindi Sahitya Sadan

Description

कश्मीर जीत या हार

प्रस्तावना

21 अक्टूबर, 1947 के दिन पाकिस्तान सरकार ने कबाइलियों की सहायता से भारत के नन्‍दनवन कश्मीर पर बलात् अधिकार जमाने के लिए आक्रमण शुरू किया। इस आक्रमण की तैयारी पाकिस्तान कई सप्ताह पहले से कर रहा था। कश्मीर के अन्दर मुस्लिम लीगी पंचमाँगी इस मामले में पाकिस्तान का पूरा साथ दे रहे थे। फलस्वरूप पाकिस्तानी आक्रान्ता कश्मीर की डोगरा सेना के कड़े मुकाबले के बावजूद तेजी से कश्मीर की राजधानी श्रीनगर की ओर बढ़ने लगे। उनकी योजना थी कि वे 25 अक्टूबर तक श्रीनगर को हस्तगत कर लें ताकि उनके कर्णधार श्री मुहम्मद अली जिन्‍नाह उस दिन श्रीनगर में ईद का पर्व मना सके।

परन्तु उनका वह स्वप्त साकार न हो सका। कश्मीर की डोगरा सेना ने कुछ देशभक्‍तों की सहायता से भारतीय सेना के पहुँचने तक उन्हें श्रीनगर में प्रवेश करने से रोके रखा। 27 अक्टूबर को प्रातः भारतीय सेना की पहली टुकड़ी विमानों के द्वारा श्रीनगर पहुँची और तत्पश्चात्‌ पाकिस्तानियों के पाँव उखड़ने शुरू हो गये। 6 नवम्बर तक उन्हें सारी घाटी में से खदेड़ दिया गया।

इस पाकिस्तानी आक्रमण और उसके प्रतिरोध की कहानी अत्यन्त रोमांचकारी है। उस घटनाक्रम में जिन व्यक्तियों ने बहुत बड़ा सक्रिय भाग लिया उसमें प्रस्तुत संस्मरणात्मक चित्रण के लेखक प्रोफेसर बलराज मधोक प्रमुख थे। उस समय वे श्रीनगर के डी०ए०वी० कालेज में इतिहास के प्राध्यापक और वाइस प्रिंसिपल के पद पर आसीन थे। साथ ही वे कश्मीर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रधान संघटक के रूप में काम करते थे। कश्मीर

के सारे हिन्दू युवक उन्हें अपना एकमात्र नेता मानते थे। एक उत्कट देश-भक्‍त के नाते उन्होंने और उनके साथियों ने कश्मीर की जनता तथा सरकार को उस संकट के सम्बन्ध में चेतावनी देने और उससे बचाने के लिए भरसक प्रयत्न किया। उस काल के सारे घटनाचक्र में एक प्रमुख पात्र होने के कारण उन्हें उनके सम्बन्ध में स्वानुभूत जानकारी है। उसी जानकारी को उन्होंने इस पुस्तक में प्रस्तुत किया है।

मैं कोई साहित्यिक व्यक्ति नहीं हूँ, इसलिए इस पुस्तक के साहित्यिक पहलू पर कुछ कहने में असमर्थ हूँ। परन्तु इस पुस्तक में वर्णित घटनाओं का प्रत्यक्ष दर्शक होने के नाते इतना अवश्य कह सकता हूँ कि इसमें उस समय की वास्तविक घटनाओं को अति सुन्दर और यथार्थ ढंग में प्रस्तुत किया गया है। मुझे विश्वास है कि भारत के हिन्दी प्रेमियों को इससे कश्मीर समस्या की वास्तविक पृष्ठभूमि और उसकी आज की स्थिति को समझने में बहुत सहायता मिलेगी।

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Authors

Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2017

Pulisher

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