Kavita Ka Galpa

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Kavita Ka Galpa

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400.00 330.00

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Author: Ashok Vajpeyi

Availability: 5 in stock

Pages: 179

Year: 2016

Binding: Hardbound

ISBN: 9788171192724

Language: Hindi

Publisher: Radhakrishna Prakashan

Description

कविता का गल्प

पिछले तीस बरसों की हिन्‍दी कविता की रचना, आलोचना, सम्‍पादन और आयोजन में अशोक वाजपेयी एक अग्रणी नाम रहे हैं। हिन्‍दी समाज में आज की कविता के लिए जगह बनाने की उनकी अथक कोशिश इतने स्तरों पर और इतनी निर्भीकता और आत्मविश्वास के साथ चलती रही है कि उसे समझे बिना आज की कविता, उसकी हालत और फलितार्थ को समझना असम्‍भव है।

अशोक वाजपेयी निरे आलोचक नहीं, अज्ञेय, मुक्तिबोध, विजयदेव नारायण साही, कुँवर नारायण, मलयज आदि की परम्‍परा में कवि-आलोचक हैं। उनमें तरल सहानुभूति और तादात्म्य की क्षमता है तो सख़्त बौद्धिकता और न्यायबुद्धि का साहस भी। आधुनिक आलोचना में अपनी अलग भाषा की स्थायी छाप छोड़नेवाले वे ऐसे आलोचक हैं जिन्होंने अज्ञेय, मुक्तिबोध और शमशेर से लेकर रघुवीर सहाय, धूमिल, श्रीकान्‍त वर्मा, कमलेश, विनोदकुमार शुक्ल आदि के लिए अलग-अलग तर्क और औचित्य खोजे परिभाषित किए हैं। कविता की उनकी अदम्य पक्षधरता निरी ज़‍िद या एक कवि की आत्मरति नहीं है—वे प्रखरता से, तर्क और विचारोत्तेजन से, ज़‍िम्मेदारी और वयस्कता से हमारे समय में कविता की जगह को सुरक्षित और रौशन बनाने की खरी चेष्टा करते हैं।

अज्ञेय की महिमा, तार सप्तक के अर्थ, रघुवीर सहाय के स्वदेश, शमशेर के शब्दों के बीच नीरवता आदि की पहचान जिस तरह से अशोक वाजपेयी करवाते हैं, शायद ही कोई और कराता हो। उनमें से हरेक को उसके अनूठेपन में पहचानना और फिर एक व्यापक सन्दर्भ में उसे लोकेट करने का काम वे अपनी पैनी और पुस्तक-पकी नज़र से करते हैं।

कविता और कवियों पर उनका यह नया निबन्‍ध-संग्रह ताज़गी और उल्लास-भरा दस्तावेज़ है और उसमें गम्‍भीर विचार और विश्लेषण के अलावा उनका हाल का, हिन्‍दी आलोचना के लिए सर्वथा अनूठा, कविता के इर्द-गिर्द ललित चिन्‍तन भी शामिल है।

Additional information

Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2016

Pulisher

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