Kavita Ke Aar Par

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Kavita Ke Aar Par

Kavita Ke Aar Par

450.00 375.00

In stock

450.00 375.00

Author: Nandkishore Naval

Availability: 5 in stock

Pages: 206

Year: 2018

Binding: Hardbound

ISBN: 9788126721207

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

कविता के आर-पार

हिंदी में कृति की राह से गुजरने की बहुत बात की जाती है, लेकिन सच्चाई यह है कि उसमें आलोचना और रचना का आपसी संबंध काफी कुछ टूट चुका है। जहां तक कविता की बात है, ज्यादा शक्ति उसके सामाजिक और राजनीतिक संदर्भों को स्पष्ट करने में खर्च की जा रही है। जब कविता से अधिक उसके कारणों को महत्त्व दिया जाएगा, तो अनिवार्यतः उसके संबंध में जो निष्कर्ष निकाले जाएंगे, वे पूरी तरह से सही नहीं होंगे। कविता अंततः एक कलात्मक सृष्टि है, जिसमें उसके देश और कालगत संदर्भ स्वयं छिपे होते हैं। आलोचना का काम रचना से ही आरंभ कर उन संदर्भों तक पहुंचना है, न कि उन संदर्भों को अलग से लाकर उनमें रचना को विलीन कर देना।

प्रस्तुत पुस्तक में इस कठिन काम को अंजाम देने का भरसक प्रयास किया गया है। निराला, शमशेर और मुक्तिबोध हिंदी के ऐसे कवि हैं, जिनकी कविता का पाठ अत्यधिक जटिल है। हिंदी काव्यालोचन उस पाठ से उलझने से बचता रहा है, जबकि संज्ञान और सौंदर्य दोनों का मूल स्रोत वही है। डॉ. नंदकिशोर नवल निराला और मुक्तिबोध के विशेष अध्येता हैं और शमशेर में उनकी गहरी दिलचस्पी है। स्वभावतः उन्होंने इस पुस्तक के लेखों में उक्त कवियों की कुछ प्रसिद्ध कविताओं का पाठ-विश्लेषण करते हुए उनके सौंदर्योन्मीलन की चेष्टा की है। उनका कहना है कि पाठ-विश्लेषण काव्यालोचन का प्रस्थानबिंदु है। निश्चय ही उससे शुरू करके वे वहीं तक नहीं रुके हैं। अज्ञेय, केदार और नागार्जुन अपेक्षाकृत सरल कवि हैं, लेकिन चूंकि कविता-पात्र एक जटिल वस्तु है, इसलिए प्रस्तुत पुस्तक में उनकी कुछ कविताओं से भी आत्मिक साक्षात्कार किया है। नमूने के रूप में रघुवीर सहाय की एक कविता की भी पाठ-केंद्रित आलोचना दी गई है। इस तरह की पुस्तक हिंदी काव्य-प्रेमियों के लिए एक जरूरी पुस्तक है, जो उनकी आस्वादन क्षमता को विकसित करेगी।

Additional information

Weight 0.5 kg
Dimensions 21 × 14 × 4 cm
Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2018

Pulisher

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