Kuch Rang The Khwabon Ke

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Kuch Rang The Khwabon Ke

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295.00 235.00

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295.00 235.00

Author: Nasira Sharma

Availability: 5 in stock

Pages: 160

Year: 2024

Binding: Paperback

ISBN: 9789357751797

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

कुछ रंग थे

ख़्वाबों के प्रेम का एक नया पृष्ठभूमि पर रचा गया अनूठा उपन्यास है। यह काल भीतर घटित केवल अपने काल की नहीं, बल्कि उसे लाँघ उस प्रेम की गाथा बन जाता है जिसके बारे में कभी महान दार्शनिक अरस्तू ने कहा था-यह (प्रेम) भले ही जनमता एक ही आत्मा से, लेकिन करता निवास दो देहों में।

इस उपन्यास के मुख्य पात्र सुरभि और सायरस ऐसे ही प्रेम के प्रतीक हैं। वे प्रतीक इस बात के भी हैं कि उनका प्रेम अपनी दार्शनिकता में निज तक न रहकर सम्पूर्ण विश्व-समाज की समस्याओं को भी अपने में समाहित कर लेता है जिसे दोनों अपनी-अपनी तरह से सुलझाने की कोशिश में एक जान दो क़ालिब बन जाते हैं। दरअसल सुरभि और सायरस के प्रेम की धुरी वह सरोकार है जो उनके समय के जटिल लेकिन ज़रूरी प्रश्नों से उपजा है।

यह उपन्यास ईरान-इराक युद्ध, ईरानी धरती पर अमेरिकन आर्थिक नाकाबन्दी और वहाँ इस्लामिक गणतन्त्र की स्थापना के बाद के समय को पूरी गहराई के साथ उठाता है जिससे पिछली शताब्दी के अन्तिम दशक के वो हालात उभरकर सामने आते हैं, जिनमें घिरे वहाँ के नागरिक अपने जीवन का कष्टमय दिन गुज़ार रहे थे। और उसी भयानक दौर का एक मुकम्मल बयान अल्ज़ाइमर की बीमारी से पीड़ित सायरस है जिसका दर्द न केवल उसका, बल्कि सुरभि का भी बन जाता है।

देखा जाये तो इस कृति में ईरान और हिन्द के ऐतिहासिक रिश्ते की एक धारा जो सुरभि और सायरस के रूप में बहती है, वह किसी भी सरहद से इतर है। इसलिए इसमें उस हर देश की सुरभि और सायरस की कथा है, जहाँ सत्ता और शासन के लिए जंग को अनिवार्य समझा जाता है, मनुष्यों की मुक्ति टूटे पंख की तरह बिखर के रह जाती है और सपनों के रिश्ते बारूद से सनी मिट्टी में दफ़्न हो जाते हैं।

यह उपन्यास अपने कथ्य के कारण ही नहीं, अपनी भाषा के कारण भी इस मायने में उल्लेखनीय है कि इसमें हिन्दी, अरबी और पर्शियन शब्दों के सहमेल से रचे गये संवाद अपने ख़ास अन्दाज़ और आस्वाद में जिस तरह सहज ही आकर्षित करते हैं, हम उसी तरह स्वतः उनके पाश में बँधे रह जाते हैं। इसका शिल्प भी गद्य की तरह कम अपने संवेद-रचाव में काव्य की तरह ज्यादा है। निस्सन्देह, हिन्दी साहित्य-जगत् के लिए एक दुर्लभ हासिल की तरह है कुछ रंग थे ख़्वाबों के।

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Authors

Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2024

Pulisher

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