Kunjgali Nahin Sankri

-16%

Kunjgali Nahin Sankri

Kunjgali Nahin Sankri

125.00 105.00

In stock

125.00 105.00

Author: Anita Gopesh

Availability: 5 in stock

Pages: 105

Year: 2019

Binding: Paperback

ISBN: 9789388211437

Language: Hindi

Publisher: Lokbharti Prakashan

Description

कुंज़गली नहिं साँकरी

कुंज़गली’ उपन्यास सूरजभान से शुरू होता है और उसके ममेरे बडे भाई बृजभान की पत्नी कल्याणी के प्रेम से गुज़रता हुआ सूरजभान के शवदाह पर ख़त्म। ‘मणिकर्णिका’ जीवन की अन्तिम मंज़ि‍ल है और ‘कुँज़गली’ की भी। कहानी इन्हीं दोनों परिवारों के बीच बहती है, चलती नहीं। उसमें वेग है, प्रवाह है, धारा है। धारा में उतरिए और बहते चले जाइए। इस धारा से टकराते, जूझते, लड़ते पार लगने की जद्दोज़हद में है कल्याणी जो उपन्यास का केन्द्रीय पात्र है। वह अपने मानसिक, दैहिक संघर्षों में ‘त्यागपत्र’ के ‘मृणाल’ की याद दिलाती है।

कुल मिलाकर उपन्यास दिलचस्प और पठनीय है। कथानक कसा हुआ और सुगठित है। भाषा में जगह-जगह बनारसीपन की छौंक है, लेकिन सधी हुई।

—काशीनाथ सिंह

Additional information

Authors

Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2019

Pulisher

Reviews

There are no reviews yet.


Be the first to review “Kunjgali Nahin Sankri”

You've just added this product to the cart:

error: Content is protected !!