Mahamilan

-24%

Mahamilan

Mahamilan

295.00 225.00

In stock

295.00 225.00

Author: Vijaydan Detha

Availability: 4 in stock

Pages: 210

Year: 2008

Binding: Hardbound

ISBN: 9789352293131

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

महामिलन

विजयदान देथा की जानी-पहचानी और विशिष्ट कथा शैली में बूना गया  उपन्यास है, ‘महामिलन’ गाँव इसकी कथा भूमि है, गौतम नाम का अनाथ हो गया बालक कथा – नायक है। अफ़ीमची पिता और डरी हुई माता की इस सन्तान का रिश्ता बहुत बचपन में हो जाता है। मगर यह रिश्ता किसी मुकाम तक पहुँचे, उसके पहले माता-पिता जीवन का ही रिश्ता तोड़कर दूसरे लोक चले जाते हैं। दुर्भाग्य इस बालक को बन्धक बनने पर मजबूर करता है।

मगर असल कथा वहाँ शुरू होती है, जहाँ गौतम-पिता द्वारा किये गये रिश्ते का सूत्र नये सिरे से थामने निकलता है। वह सूत्र उसकी पत्नी के रिश्तेदारों द्वारा तोड़ा जा चुका है। लेकिन गौतम कटिबद्ध है, प्राण देने का संकल्ला भी उसके साथ है। पत्नी उसे मिलती है, मगर वह उसे पहचानता नहीं। यह पहचान लेती है, ठिठोली करती है या परीक्षा लेती है, पता नहीं, मगर उसे पता है कि आने वाले दिनों में कई परीक्षाएँ बाकी हैं। यहाँ से विजयदान देथा की क़लम का कौशल अपने चरमोत्कर्ष पर होता है। जीवन में निहित विडम्बनाओं और मानव स्वभाव में मौजूद सम्भावनाओं का ऐसा अंकन करते हैं कि पाठक ठगा-सा रह जाता है। उसे भावनाओं के कई संघर्ष देखने को मिलते हैं, वह सरलता को दुनियादारी से लोहा लेता हुआ देखता है, सैद्धान्तिकता और नैतिकता को व्यावहारिकता और अनैतिकता से लड़ता हुआ पाता है। पूरे उपन्यास में एक आस्था झिलमिलाती रहती है, गौतम के जीतने का विश्वास, जो पाठक का भी विश्वास बन जाता है।

एक पुरातन लगती कथा की जब्जीर से आधुनिक समय को बाँधने का यह साहस विजयदान देथा ही दिखा सकते हैं। उपन्यास बहुत बड़ा नहीं है, लेकिन लेखकीय कौशल से बड़े फलक में पसर जाता है। ‘महामिलन’ में एक तरह की बहुफलकीयता भी है जिसके विभिन्न कोणों को समझने में पाठक को ज़रा भी मुश्किल नहीं होती है।

– प्रियदर्शन

Additional information

Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2008

Pulisher

Reviews

There are no reviews yet.


Be the first to review “Mahamilan”

You've just added this product to the cart: