Trikon

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200.00 170.00

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Author: Vijaydan Detha

Availability: 2 in stock

Pages: 228

Year: 2012

Binding: Paperback

ISBN: 9789350721551

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

त्रिकोण

राजस्थान की माटी की लोककथाएँ और विजयदान देथा की लेखनी-दोनों एक ऐसा संयोग बनाते हैं जिसे आधुनिक राजस्थानी गद्य-साहित्य में गुणात्मक परिवर्तन की भूमिका के बतौर पढ़ा जाता है। उनकी विशिष्ट शैली, भाषा और मानवीय व्यवहारों के गहन अध्ययन की उनकी क्षमता ने उन लोककथाओं को नये आयाम दिये। राजस्थानी जन-समाज की सांस्कृतिक एवं सामूहिक अनुभूति लोककथाओं की जिस मौखिक-परम्परा का हिस्सा रही हैं, विजयदान देथा ने लिखते हुए उन्हें नवीन मान्यताओं एवं मूल्यों की प्रस्थापना करनेवाली साहित्यिक अभिव्यंजनाओं के रूप में देखा।

असल में लोककथाएँ लगातार बुराई पर अच्छाई की जीत, असत्य पर सत्य की विजय, क्रूरता पर दयालुता की विजय और मृत्यु पर जीवन के आनन्द के विजय का ही आख्यान रचती आयी हैं-जीवन में सुन्दर की सम्भावना और उसकी आकांक्षा की अभिव्यक्ति का रूप बनकर। विजयदान देथा की जानी-पहचानी और विशिष्ट कथा शैली में बने गये दो लघु उपन्यास ‘रिजक की मर्यादा’ और ‘मायाजाल’ तथा लम्बी कहानी ‘क़ुदरत की बेटी’-इन तीन कृतियों का संयोग ही है यह पुस्तक ‘त्रिकोण’। लोककथा वस्तुतः मौखिक साहित्य की एक महत्त्वपूर्ण विधा है। इस दृष्टि से लोककथा प्रामाणिक लेखन में राजस्थानी भाषा का ही प्रयोग आवश्यक समझा गया है। कुल मिलाकर ये उपन्यास भी है, कहानी भी है। और घटनाओं में रवानी भी-जिनके संगम से बेजोड़ आख्यान का जन्म होता है।

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Paperback

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Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2012

Pulisher

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