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Mahavir Lachit Borphukan
₹195.00 ₹170.00
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Author: Rajlakshmi Khaund
Pages: 150
Year: 2022
Binding: Paperback
ISBN: 9789354912634
Language: Hindi
Publisher: National Book Trust
महावीर लाचित बरफुकन
अपनी असाधारण वीरता के कारण पूर्वोत्तर भारत के ‘वीर शिवाजी’ कहे जाने वाले लाचित बरफुकन 17वीं शताब्दी के एक महान सेनापति और वीर योद्धा थे। असम के आहोम साम्राज्य के सेनापति लाचित बरफुकन ने 1667 ई. में मुगल सम्राट औरंगजेब की सेना को सराईघाट के युद्ध में पराजित कर पूर्वोत्तर में आहोम साम्राज्य को शत्रुओं से संरक्षित कर निरापद बनाने का कठिन और महत कार्य किया था। लगभग छह-सात शताब्दियों के आहोम साम्राज्य में लाचित बरफुकन जैसा अटल राजभक्त, कर्तव्यनिष्ठ, दूरद्रष्टा, कुशल संगठनकर्ता और वीर सेनानायक कोई और नहीं हुआ था। अपने अपूर्व रण-कौशल और सैन्य संचालन के लिए ख्यात लाचित मुगल सेनानायक रामसिंह को पराजित कर असम के इतिहास में सदा के लिए अमर हो गए। 24 नवंबर को उनके जन्मदिन को असम में ‘लाचित दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। ऐसे ही परम वीर और स्वाभिमानी सेनानायक लाचित बरफुकन के जीवन और वीरतापूर्ण कृत्यों का रोचक और विशद विवरण इस पुस्तक में है।
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Language | Hindi |
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Publishing Year | 2022 |
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राजलक्ष्मी खाउंद
असमिया और हिंदी, दोनों भाषाओं की समादृत लेखिका राजलक्ष्मी खाउंद ने अपने मूल लेखन और अनुवाद के माध्यम से दोनों भाषाओं के बीच सेतु-निर्माण का महत कार्य किया है। लेखिका ने अनेक मूल असमिया कृतियों का हिंदी अनुवाद किया है, जिनमें लक्ष्मीनाथ बेजबरुआ की कृति ‘बुढ़ी आइर साधु’ तथा सत्येंद्रनाथ बरकटकी की ‘पर्बतीया साधु’ का हिंदी अनुवाद मुख्य है। स्वामी विवेकानंद की कृति ‘कॉल टू द नेशन’ का उन्होंने असमिया में अनुवाद किया है। असम से निकलने वाले अनेक मुख्य अखबारों, ‘हिंदी सेंटिनल’ समेत, में नियमित रूप से लेखन करने वाली लेखिका की एक पुस्तक ‘एकात्म मानवतावाद’ असम प्रकाशन परिषद द्वारा प्रकाशित है। ‘परिषद’ से ही दीनदयाल उपाध्याय रचित संपूर्ण वाङ्ममय के कुछ खंडों का उन्होंने असमिया में अनुवाद भी किया है।
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