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Description
मैंने अपनी माँ को जन्म दिया है
महादेवी वर्मा के बाद से स्त्री कविता की अब तक चार पीढ़ियाँ और तैयार हुई। चौथी पीढ़ी की ऐसी विशिष्ट कवयित्री हैं रश्मि भारद्वाज जिनकी पीड़ा बौद्ध भिक्षुणियों के चीवर की गम्भीर लय में उनके पीछे धीरे-धीरे उड़ती जान पड़ती है। दुख से उपजे संताप वे कहीं पीछे छोड़ आयी हैं पर ‘गगन में गैब निसान उरै’ भाव से उनके पीछे ही सही, पर उनके साथ दुख लगा तो हुआ है – उन्हे एक व्यापक और गम्भीर दृष्टि देता हुआ जो किसी अतिरेक में विश्वास नहीं करती, एक दमनचक्र का जवाब दूसरे दमन-चक्र से देने में तो हर्गिज ही नहीं। तभी तो सभी संशयो के मध्य भी उनके पास शेष है ‘प्रेम का विश्वास’ , किसी ईश्वर के आगे नहीं झुकने पर भी उनके पास शेष है ‘प्रार्थना की उम्मीद’, सारे सांसारिक अनुष्ठानों के बीच भी शेष है ‘आत्मा का एकांत’।
– अनामिका
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Pages | |
Publishing Year | 2023 |
Pulisher | |
Language | Hindi |
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