Man Manas Mein Ram

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Author: Prof. Shriprakash Mani Tripathi

Availability: 5 in stock

Pages: 184

Year: 2021

Binding: Hardbound

ISBN: 9789352298174

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

मन मानस में राम

मन मानस में राम- भारत बहुत प्राचीन देश है। भारतीय परम्पराएँ भी अति प्राचीन हैं। इन्हीं परम्पराओं ने भारतीय संस्कृति की रचना में अपना योगदान दिया है। वैसे तो इन परम्पराओं या सांस्कृतिक तत्त्वों का कोई अन्त नहीं है लेकिन भारत के चिन्तक, ऋषि-महर्षि, कवि सभी अपनी साधना में जिस जीवन को लक्ष्य करके चलते रहे हैं वह है गार्हस्थ्य जीवन। गृहस्थ आश्रम को श्रेष्ठ आश्रम माना जाता है। यह आश्रम कर्तव्यों, आदर्शों और उत्तरदायित्वों से बँधा होता है। इसलिए इसकी साधना बहुत ऊँची मानी गयी है। ‘रामायण’ इसका प्रांजल उदाहरण है और श्रीराम इसके आदर्श हैं। न जाने कितने पारिवारिक दायित्वों, वचनों, आचरणों और कर्तव्यों का वे पालन करते हैं। राम अपनी इसी ‘पारिवारिकता’ के चलते जन-जन के राम बन जाते हैं। लोक के राम बन जाते हैं। लोक आचरण और लोक संस्कारों में प्रविष्ट हो जाते हैं। लोग उन्हें अपने अत्यन्त समीप पाते हैं।

– इसी पुस्तक से

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Authors

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Hardbound

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Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2021

Pulisher

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