Netaji Kahin

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Netaji Kahin

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295.00 255.00

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Author: Manohar Shyam Joshi

Availability: 5 in stock

Pages: 158

Year: 2019

Binding: Hardbound

ISBN: 9788171789085

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

नेताजी कहिन

साप्ताहिक हिंदुस्तान में अनियमित रूप से प्रकाशित स्तंभ नेताजी कहिन के साथ कई विचित्रताएँ जुड़ी हैं। पहली तो यह कि संपादक ‘म. श्या. जो.’ को एक बार नेताजी पर छोटा-सा व्यंग्य लिखने के कारण पाठकों ने यह ‘सजा’ दी कि वह लगातार व्यंग्य स्तंभ लिखे, संपादकी न बघारे ! दूसरी यह कि समसामयिक घटनाओं को विषय बनाने के बावजूद यह स्तंभ ‘सनातन’ में भी खूँटा गाड़े रहा। तीसरी यह कि राजनीतिक बिरादरी की संस्कारहीनता उजागर करनेवाले ये व्यंग्य कुछ महत्त्वपूर्ण पाठकों को स्वयं संस्कारहीन मालूम हुए। और चौथी यह कि बैसवाड़ी और भोजपुरी की छटा दिखाती ऐसी नेताई भाषा, कहते हैं, अब तक मात्र सुनी ही गई थी। लेकिन इस किताब में वह लिखी हुई, बल्कि बाकायदा छपी हुई, है।

व्यंग्य इन लेखों का दुधारा है। नेताओं के साथ-साथ ‘किर्रुओं’ पर भी उसकी धार है। ‘किर्रू’ यानी जो नेताओं को कोसते भी रहते हैं और जीते भी रहते हैं उन्हीं के आसरे। दरअसल यहीं ‘म. श्या. जो.’ के व्यंग्य से बचाव मुश्किल है, क्योंकि तिलमिला उठता है हमारे ही भीतर बैठा कोई किर्रू ! निश्चय ही ‘हिंदुस्तान’ के नेताओं और ‘किर्रुओं’ पर किए गए ये व्यंग्य हिंदी के ‘कामचलाऊ’ स्वरूप, राष्ट्रीय चरित्र और जातीय स्वभाव का बेहतरीन खुलासा करते हैं।

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Authors

Binding

Hardbound

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Pages

Publishing Year

2019

Pulisher

Language

Hindi

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