Pascal

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75.00 65.00

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Author: Gunakar Muley

Availability: 10 in stock

Pages: 83

Year: 2009

Binding: Hardbound

ISBN: 9788126708772

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

पास्कल

सामान्‍यतः हम मान लेते हैं कि स्‍वस्‍थ शरीर में ही स्‍वस्‍थ मस्तिष्‍क निवास करता है। लेकिन पास्‍कल जीवन-भर अजीर्ण और अनिद्रा से पीड़ित रहे। फिर भी 39 वर्ष की अल्‍पायु में गणित के क्षेत्र में इतना मौलिक कार्य कर गए कि आज उन्‍हें न केवल फ़्रांस का, अपितु संसार का एक महान गणितज्ञ माना जाता है।

बालक पास्‍कल की शिक्षा घर पर ही हुई, पिता की देखरेख में। वह इतने प्रतिभाशाली थे कि 12 वर्ष की आयु में, किसी की सहायता के बिना, स्‍वयं ही यूक्लिड की ज्‍यामिति के कई प्रमेयों को सिद्ध कर डाला। इसमें वह प्रमेय भी शामिल था, जिसके अनुसार त्रिभुज के तीन भीतरी कोणों का योग दो समकोणों के बराबर होता है।

गणित को पास्‍कल की एक और महान देन है—सम्‍भाविता-सिद्धान्त। ताश के पत्‍तों के खेल से उपजे सवालों को हल करने के प्रयासों में इस सिद्धान्त का जन्‍म हुआ था। आज सम्‍भाविता-सिद्धान्त एक अत्यन्त महत्‍त्‍वपूर्ण विषय बन गया है; यह सिद्धान्त प्रकृति की लीलाओं के मूल में पैठा हुआ है।

हिन्दी के विशिष्‍ट विज्ञान-लेखक गुणाकर मुळे ने गहन शोध के बाद ख़ास तौर पर किशोर पाठकों के लिए यह पुस्‍तक तैयार की थी जिसमें पास्‍कल के जीवन के साथ-साथ उनकी वैज्ञानिक उपलब्धियों की भी सरल भाषा में जानकारी दी गई है।

यह पुस्‍तक किशोरों के मानस को एक वैज्ञानिक दिशा प्रदान करती है।

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Pages

Publishing Year

2009

Pulisher

Language

Hindi

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