Pratinidhi Kavitayen : Chandrakant Devtale

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Pratinidhi Kavitayen : Chandrakant Devtale

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Author: Chandrakant Devtale

Availability: 10 in stock

Pages: 120

Year: 2017

Binding: Paperback

ISBN: 9788126724109

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

चन्द्रकान्त देवताले की कविता के विषय-वस्तु संसार के ऐतिहासिक तथ्य मात्र नहीं हैं, एक अदम्य और अनवरत् जारी सृजनात्मक ऊर्जा के जादुई स्पर्श से ही चन्द्रकान्त इन विषयों का काव्य रूपान्तरण करते हैं। उनकी कविताओं में मौजूद लयों की विविधता के पीछे शिल्प-संयम या कौशल या नवाचार की जाहिर चेष्टा की जगह एक तरह की रागाविष्ट स्वतःस्फूर्तता ही अधिक है। इसी वजह से उनके वस्तु-वर्णन भी किसी रैखिक वैचारिकता में विन्यस्त नहीं लगते। वास्तव में उनकी कविता की पक्षधर वैचारिकता या उसकी प्रतिबद्धता का स्रोत मानव विवेक के आदिम संघर्ष और अपनी लोकोन्मुख सांस्कृतिक परम्परा में है। उपभोग और उन्माद की सभ्यता के बेरोक प्रसार, राजनैतिक संस्कृति में लगातार जारी गिराव, शोषण, दमन और अन्याय को पालने-पोसनेवाली बाजारू रफ्तार के विरुद्ध, खालिस देसी सन्दर्भों के धधकते अनुभवों में वाग्मिता और बेबाकी से विन्यस्त, चन्द्रकान्त देवताले की कविता कवि की पक्षधरता का एक मार्मिक और अविस्मरणीय दस्तावेज है। चन्द्रकान्त देवताले की कविता श्रम के सम्मान और लोक-संस्कृति की स्मृतियों से ही अपनी मूल्य चेतना को निरन्तर संस्कारित करती रही है। इसीलिए उनके यहाँ न तो भारतभूमि में जन्म लेने और जीने की गद्गद आत्ममुग्ध भारतीयता है और न ही ऐसी कोई महान विश्व दृष्टि जिसे पास-पड़ोस के रोजमर्रे का दुःख और अन्याय ही न दिखे।

चन्द्रकान्त देवताले की कविता का सार अगर करना ही हो, तो मुक्तिबोध के शब्दों में वह आवेग त्वरित कालयात्री है।

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Publishing Year

2017

Pulisher

Language

Hindi

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