Premchand Aur Bhartiya Samaj

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Premchand Aur Bhartiya Samaj

Premchand Aur Bhartiya Samaj

495.00 375.00

In stock

495.00 375.00

Author: Namvar Singh

Availability: 9 in stock

Pages: 196

Year: 2010

Binding: Hardbound

ISBN: 9788126718924

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

प्रेमचन्द और भारतीय समाज

प्रेमचन्द स्वाधीनता संग्राम में साधारण भारतीय जनता की जीवंतता, प्रतिरोधी शक्ति और आकांक्षाओं-स्वप्नों के अमर गायक। उपन्यास और कहानी जैसी, हिंदी में प्रायः लड़खड़ाकर चलना सीखती, विधाओं को ‘स्वाधीनता’ के इस महास्वप्न से जोड़कर रचनात्मक ऊँचाइयों के चरम पर ले जाने वाले परिकल्पक। रचनाशीलता को जनता के ठोस नित-प्रति भौतिक जीवन और उसके अवचेतन में मौजूद उसकी साधारण और असाधारण इच्छाओं को संयुक्त कर एक पूर्ण जीवन का आख्यान बनाने वाले युगदर्शी कथाकार।

‘यथार्थ’ की ठोस पहचान और ‘यथास्थिति’ के पीछे कार्य कर रही कारक शक्तियों की प्रायः एक वैज्ञानिक की तरह पहचान करने वाले भविष्यदर्शी विचारक और बुद्धिजीवी। संभवतः इन्हीं कारणों से आधुनिक रचनाकारों में इकलौते प्रेमचन्द ही हैं जिनमें हिन्दी के शीर्ष स्थानीय मार्क्सवादी आलोचक प्रो. नामवर सिंह की दिलचस्पी निरन्तर बनी रही है। प्रेमचन्द पर विभिन्न अवसरों पर दिये गए व्याख्यान एवं उन पर लिखे गए आलेख इस पुस्तक में एक साथ प्रस्तुत हैं। यहाँ शामिल निबन्धों एवं व्याख्यानों में प्रेमचन्द के सभी पक्षों पर विस्तार से बातचीत की गई है।

प्रेमचन्द की वैचारिकता, जीवन-विवेक और उनकी रचनाओं के संबंध में प्रगतिशील आलोचना का स्पष्ट नजरिया यहाँ अभिव्यक्त हुआ है। विशिष्ट सामाजिक परिप्रेक्ष्य में प्रेमचन्द की कहानियों और उपन्यासों का विवेचन यहाँ है और भारतीय आख्यान परंपरा के संदर्भ में प्रेमचन्द के कथा-शिल्प की विशिष्टता और उसकी भारतीयता पर गंभीर विचार भी। सांप्रदायिकता, दलित प्रश्न जैसे विशिष्ट प्रसंगों के परिप्रेक्ष्य में प्रेमचन्द की रचनात्मकता और उनके विचारों का मूल्यांकन हो या स्वाधीनता संग्राम के संदर्भ में उनकी ‘पोजीशन’ का विवेचन इन निबन्धों में नामवर जी अपनी निर्भ्रान्त वैचारिकता, आलोचकीय प्रतिभा और लोक-संवेदी तर्क-प्रवणता और स्पष्ट जनपक्षधरता से प्रेमचन्द को उनकी संपूर्णता में उपस्थित करते हैं।

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Hardbound

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Publishing Year

2010

Pulisher

Language

Hindi

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