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Description
रमण महर्षि
साधना में अभिरुचि रखनेवालों के लिए श्री रमण महर्षि का नाम जाना-पहचाना है। भारत के आध्यात्मिक क्षितिज पर पिछले कुछ वर्षों में जिन नक्षत्रों का उदय हुआ है, उनमें श्री रमण महर्षि का नाम विशेष उल्लेखनीय है। उन्होंने अपने जीवन तथा कार्यों से भारत का नाम आलोकित किया है। भारत के अलावा पश्चिम के कई देशों में अपना उजाला फैलाकर रमण महर्षि ने देश को गौरवान्वित किया है तथा मानव-जाति की बहुमूल्य सेवा की है।
30 दिसंबर, 1879 को सोमवार के दिन आधी रात के लगभग एक घंटे बाद एक जाने-माने प्राचीन ब्राह्मण कुल में जन्म हुआ उस अद्भुत बालक का, जिसे बाद में पूरी दुनिया ने भगवान् श्री रमण महर्षि के नाम से जाना।
उन्होंने साधारण जनों को रास्ता बताया कि मानव को उसके दैनिक कार्यों को करते हुए किस प्रकार उस परम तत्त्व की वंदना करनी है, कैसे आत्मा की शुद्धि करके जन्म-मरण के चक्करों से पार पाना है। यदि हम अपने दायित्वों का निर्वाह ही नहीं कर सकते तो हमें इस पृथ्वी पर मानव बनकर रहने का क्या अधिकार है! इस जगत् में ज्ञान की वास्तविक परिभाषा, जीवन की गहराइयाँ महर्षि रमण जैसे ज्ञानी पुरुषों ने ही हमें समझाई है।
आध्यात्मिकता के मार्ग का दिग्दर्शन करनेवाले श्री रमण महर्षि की प्रेरणाप्रद जीवनगाथा।
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अनुक्रम
1. श्री रमण महर्षि—9
2. बालपन—12
3. जागृति के क्षण—17
4. अरुणाचल सफरनामा—22
5. अरुणाचल के शुरुआती दिन—31
6. शिवप्रकाश पिल्लई और ‘कौन हूँ मैं?’—33
7. अरुणाचल में बिताए गए मध्य वर्ष—44
8. पशुओं और बच्चों के प्रति श्री रमण का प्रेम—50
9. महान् साधुओं से श्री रमण की भेंट—55
10. अरुणाचल में उनके अंतिम वर्ष—60
11. अरुणाचल का महव—69
12. महर्षि की शिक्षाएँ—76
ग्रंथ व्याया—100
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2017 |
Pulisher |
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