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Description
रामायण महातीर्थम्
प्रख्यात ललित निबन्धकार और मनीषी चिन्तक स्व. कुबेरनाथ राय की यह पुस्तक ‘रामायण महातीर्थम्’ स्वयं श्रीराम द्वारा संयोजित उनकी अन्तिम कृति है, अतः इसके प्रकाशन का एक ऐतिहासिक महत्त्व भी है। संयोगवश इस कृति का प्रकाशन ऐसे समय में हो रहा है जब राम विचार और विवाद दोनों के केन्द्र में हैं। इस दृष्टि से रामायण महातीर्थम् जैसे ग्रन्थ का महत्त्व और भी बढ़ जाता है।
राम का आनन्दमय चेतना स्वरूप कुबेरनाथ राय को सदैव सम्मोहित करता रहा है। अपने अन्तिम दिनों में वे रामकथा के भावात्मक और बौद्धिक सौन्दर्य के अध्ययन और उद्घाटन में एकाग्र थे। उसी का प्रतिफल है ‘रामायण महातीर्थम्’। कुबेरनाथ जी ने इसमें राम और रामकथा को नये बौद्धिक सम्मोहन से मण्डित किया है-एक नयी लालित्यपूर्ण भंगिमा के साथ। उनका मानना है कि अनहदनाद के साधना- शिखर पर स्थित राम को पहचानने का अर्थ ही भारतीयता के सारे स्तरों के आदर्श रूप को, भारत के सहज चिन्मय रूप को पहचानना है।
पुस्तक में रामकथा में निहित आर्ष भावना और विचारों का विस्तृत और गम्भीर विवेचन है। ज्ञानपीठ की एक विशेष प्रस्तुति।
अनुक्रम
★ राम-गाथा
★ विष्णु का वृहत्साम और अश्विगाथा
★ रामकथा के मिथकीय आयाम
★ भारतीय इतिहास-दृष्टि और रामकथा
★ रामकथा का वैदिक स्नायु-मण्डल
★ दो सहोदर वीर
★ ब्राह्मण-आरण्यक संस्कृति का उत्तराधिकार
★ वानर-गाथा
★ पम्पासर और वानर महाजाति
★ वृषाकषि से हनुमान तक
★ हनुमान-गाथा
★ राक्षस-गाथा
★ शालकटंकट पर्व
★ दशग्रीव पर्व
★ दशग्रीव की लंका
★ यक्ष और राक्षस
★ परिशिष्ट
★ राम ही पूर्णावतार थे
★ रात्रि, ऋषि-कवि और आधुनिक मन
★ प्रिय पुत्र, अमृत लेकर ही लौटना
★ अपने लेखन के बारे में
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2023 |
Pulisher |
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