Sahityik Shodh Aur Bodh
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Description
साहित्यिक शोध और बोध
‘साहित्यिक शोध और बोध’ सघे-सुलझे हुए समीक्षक प्रोफेसर डॉ. अर्जुन चव्हाण के शोध दृष्टि का एक और कीर्तिमान है। किसी पुराने विषय का अद्युनातन विवेचन और नए का अशेष अवगाहन उनके लेखन का अभिनव अवदान है। प्रस्तुत ग्रंथ में पृष्ठ दर-पृष्ठ तथा पंक्ति-दर-पंक्ति में इसका प्रमाण मिलता है। इसमें एक ओर चर्चित, बहुचर्चित विषयों की जांच-पड़ताल है तो दूसरी ओर नए, अनछुए, इक्कीसवीं सदी के वर्तमान विषयों की परत-दर-परत तलाश करते हुए अज्ञात को ज्ञात कराया है।
इस पुस्तक के लेखक प्रोफेसर डॉ. अर्जुन चव्हाण शोध और समीक्षा क्षेत्र का सुपरिचित और मान्यता प्राप्त नाम है। जिन्होंने 55 से अधिक छत्रों को एम.फिल., पी.एच.डी, के लिए मार्गदर्शन किया, सैंकड़ों शोध प्रबंधों का परीक्षण किया और जहाँ अनेक शोध ग्रन्थों का लेखन किया वहाँ पर उनके द्वारा लिखा गया शोध ग्रंथ गरिमामयी होना ताज्जुब की बात नहीं। शोध हमेशा नवीनता की माँग करता है। इस ग्रंथ के हर अध्याय में इसका सबूत मिलता है कि शोधकर्ता को किस तरह तर्क, तथ्य और सत्य की कसौटियों पर मान्यताएँ स्थापित करनी चाहिए।
इस ग्रंथ में साहित्य का सिनेमा और सिनेमा का साहित्य, उत्तर आधुनिकता और हिन्दी साहित्य, कॉपीराइट कानूत बनाम लेखक एवं प्रकाशक का यथार्थ, साहित्य-इतिहास-लेखन का मूल्यांकन-पुनर्मूल्यांकन, समकालीन कविता और नारी विमर्श, नई सदी की नई प्रवृतियाँ और हिन्दी कविता, दिनकर, पारसनाथ मिश्र, रतनकुमार पाण्डेय, पुस्तक संस्कृति, काव्य हेतु, वर्तमान महिला काव्य, हिन्दी कविता, हिन्दी कालजयी कहानी और इक्कीसवीं सदी के हिन्दी नाटक जैसे विषयों पर अत्यंत मार्मिक, सारार्भित किन्तु बेबाक लेखन इस ग्रंथ की प्रमुख प्रवृतियाँ हैं।
प्रोफेसर डॉ. अर्जुन चव्हाण के इष्टिकोण की वैज्ञानिकता, लेखन में वस्तुनिष्ठता, सोच-विचार में मौलिकता और अभिव्यक्ति में मर्मगेदी संप्रेषणीयता इस ग्रंथ में आद्यंत मौजूद है। पाठक, शोधकर्ता और निर्देशक की शोध दृष्टि को समृद कर वैचारिक दिग्दर्शन करनेवाला यह ग्रंथ हिन्दी शोध जगत की उपलब्धि कहना होगा।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2021 |
Pulisher |
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