Samkaleen Kavya Yatra

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Samkaleen Kavya Yatra

Samkaleen Kavya Yatra

895.00 675.00

In stock

895.00 675.00

Author: Nandkishore Naval

Availability: 5 in stock

Pages: 290

Year: 2022

Binding: Hardbound

ISBN: 9788126709816

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

समकालीन काव्य यात्रा

मुक्तिबोध ने अपने एक प्रसिद्ध कविता में कहा है : ‘नहीं होती, कहीं भी कतम कविता नहीं होती/ कि वह आवेग-त्वरिता काल-यात्री है।’ इसका एक प्रमाण यह भी है कि आधुनिक हिंदी कविता अज्ञेय और स्वयं मुक्तिबोध के साथ ही समाप्त नहीं हो जाति और काल के साथ वेग से उसकी यात्रा जारी रहती है। जिस कवित की रचना का स्रोत उसका अपना जीवन होता है, उसका एक न एक दिन ककना तय है, लेकिन जो कविता इतिहासश्रित होती है, उसका प्रवाह अजस्र रहता है। कहने की आवश्यकता नहीं कि इतिहास केवल काल-बोध नहीं, देश-बोध भी है।

प्रस्तुत पुस्तक में हिंदी के सुपरिचित आलोचक डॉ. नंदकिशोर नवल ने विजयदेव नारायण साही से लेकर धूमिल तक की कविता का गहन, विशद और वस्तुपरक अध्ययन कर यह सिद्ध कर दिया है कि आधुनिक हिंदी कविता न केवल निरंतर गतिशील है, बल्कि वह विकासशील भी है। अज्ञेय-मुक्तिबोध-परवर्ती इस कविता की विशेषता यह है कि यह बहुआयामी और बहुवर्णी है, जिस करण इसका अध्ययन जनवादिता अथवा कलावादिता की किसी संकीर्ण कसौटी पर नहीं हो सकता। नवलजी ने इन दोनों कसौटियों को अपर्याप्त मानकर सर्वप्रथम उस प्रतिमान पर प्रत्येक कवी की परीक्षा की है, जो उसकी कविता से प्राप्त होता है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि उन्होंने अपने मूल मानववादी दृष्टि को छोड़ दिया है। वस्तुतः इस दृष्टि में जन और कला दोनों की स्वीकृति है, पर वह इन दोनों की सीमाओं का अतिक्रमण भी करती है।

इस अध्ययन और मूल्यांकन का निष्कर्ष यह है कि हिंदी कविता बड़े पेचीदे ढंग से कल्पना से यथार्थ की ओर, व्यक्ति से समय की ओर और असाधारण से साधारण की ओर विकसित हुई है। ‘समकालीन काव्य-यात्रा’ पाठकों के बीच लोकप्रियता कर अब संशोधित और परिष्कृत रूप में सामने आ रही है। निश्चय ही यह पुस्तक नवलजी के आलोचनात्मक लेखन की ही नहीं, समकालीन काव्यालोचन की भी एक अपलब्धि है।

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2022

Pulisher

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