Sampoorna Kahaniyan : Premchand Vols. 1-2

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Sampoorna Kahaniyan : Premchand Vols. 1-2

Sampoorna Kahaniyan : Premchand Vols. 1-2

1,200.00 960.00

In stock

1,200.00 960.00

Author: Premchand

Availability: 10 in stock

Pages: 1718

Year: 2023

Binding: Paperback

ISBN: 9788194833581

Language: Hindi

Publisher: Lokbharti Prakashan

Description

सम्पूर्ण कहानियाँ प्रेमचन्द भाग – 1-2

प्रेमचन्द जब कथा के मंच पर आए, वे भारत की अपनी कथा परंपरा से तो परिचित थे ही, उर्दू और अरबी-फ़ारसी के किस्सों और अफसानों की भी उनको पूरी जानकारी थी। पश्चिम के कथा-लेखकों को भी उन्होंने पढ़ा था। बावजूद इसके उनकी रचनाएँ कथा-लेखन के किसी निश्चित रूप में ढलने के बजाय, अभिव्यक्ति के उनके अपने दृष्टिकोण की अनुरूपता में सामने आईं, कि कहानी को पारदर्शी होना चाहिए, वह सारगर्भित हो और अपने संवेदनात्मक उद्देश्य को पाठक तक भलीभाँति संप्रेषित कर पाने में समर्थ हो। प्रेमचन्द की कहानियों के रचना-शिल्प की बुनियादी विशेषता यह है कि वह कहीं से भी, किसी भी कोण से, आयासजन्य नहीं है। नितांत सहज और साधारण है। यह सहजता और साधारणता ही उसकी सबसे बड़ी विशेषता है।

प्रेमचन्द ने अपनी कहानियों के रचना-शिल्प में घटनाओं के बजाय स्थितियों और संदर्भों को ज्यादा महत्व दिया है। उनकी कहानियाँ इसी नाते घटना-प्रधान कहानियाँ नहीं हैं और न ही घटना-प्रधान कहानियों की तरह वे पाठकों में कौतूहल या जिज्ञासा वृत्ति उपजाती हैं। उनकी कहानियों का पाठक ‘आगे क्या होगा’ की जिज्ञासा के बजाय चित्रित स्थितियों और प्रसंगों के बीच से उभरते हुए प्रेमचन्द के संवेदनात्मक उद्देश्य के साथ हो जाता है और उसके विकास में रुचि लेने लगता है। प्रेमचन्द अपने पाठक को अपनी संवेदना के वृत्त में इस तरह ले लेते हैं कि वह उनकी बुनी हुई स्थितियों और उनके रचे चरित्रों के साथ-साथ आगे बढ़ता जाता है। वह कहानीकार का हमसफर बन जाता है। प्रेमचन्द की कहानियों के रचना-शिल्प को बारीकी से देखें तो स्पष्ट होगा कि प्रेमचन्द एक रचनाकार के रूप में कहानी में अनावश्यक दखल नहीं देते। वे अपने संवेदनात्मक उद्देश्य को कहानी में बुनी गई स्थितियों और प्रसंगों के माध्यम से उजागर करते हैं और चूँकि इन स्थितियों और प्रसंगों का सम्बन्ध उनकी कल्पना से न होकर जीवन के यथार्थ और जीवन की सच्चाइयों से होता है, अतएव पाठक के दिल-दिमाग में उनकी विश्वसनीयता आप से आप अंकित हो जाती है।

– शिवकुमार मिश्र

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Authors

Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2023

Pulisher

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