Seedhiyon Per Dhoop Mein

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Seedhiyon Per Dhoop Mein

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Author: Raghuveer Sahai

Availability: Out of stock

Pages: 204

Year: 2008

Binding: Hardbound

ISBN: 9788170555162

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

सीढ़ियों पर धूप में

“नये हिन्दी गद्य लेखकों में जिन्हें वास्तव में मॉडर्न कहा जा सकता है, उनमें रघुवीर सहाय अन्यतम हैं, आधुनिक हिन्दी कहानी के विकास की चर्चा में, यदि ‘आधुनिक’ पर बल दिया जा रहा हो, तो पहले दो-तीन नामों में अवश्यमेव उनका नाम लेना होगा : कदाचित् पहला नाम ही उनका हो सकता है। उनकी सरल, साफ़-सुथरी और अत्यन्त सधी हुई भाषा इसके सर्वथा अनुकूल है।…”

“अपने छायावादी समवयस्कों के बीच ‘बच्चन’ की भाषा जैसे एक अलग आस्वाद रखती थी और शिखरों की ओर न ताक कर शहर के चौक की ओर उन्मुख थी, उसी प्रकार अपने विभिन्न मतवादी समवयस्कों के बीच रघुवीर सहाय भी चट्टानों पर चढ़ नाटकीय मुद्रा में बैठने का मोह छोड़ साधारण घरों की सीढ़ियों पर धूप में बैठकर प्रसन्न हैं। यह स्वस्थ भाव उनकी कविता को एक स्निग्ध मर्मस्पर्शिता दे देता है- जाड़ों के घाम की तरह उसमें तात्क्षणिक गरमाई भी है और एक उदार खुलापन भी…”

– भूमिका से, सच्चिदानन्द वात्स्यायन अज्ञेय

अन्तिम आवरण पृष्ठ –

कितना सम्पूर्ण होगा वह व्यक्ति जो सुन्दर को देख सकता है पर कुरुप की उपस्थिति में भी विचलित नहीं होता। निश्चय ही उसका अस्वीकार असुन्दर से हैं, कुरुप से नहीं।

…तब समझ में आता है कि दायित्व कभी प्रतिकूल नहीं होता। उस तात्कालिक दायित्व को प्रतिकूल कर चैन की साँस लेना मेरा ध्येय नहीं होना चाहिए। वह एक निरन्तर उद्योग है जो मेरा दायित्व है। यह जीवन को उन्नत करेगा, अपनी जिजीविषा को किसी तात्कालिक तुष्टि को समर्पित कर देने की भूल नहीं करूँगा।

…हम को तो अपने हक़ सब मिलने चहिए हम तो सारा का सारा लेंगे जीवन ‘कम से कम’ वाली बात न हमसे कहिए।

दिन यदि चले गये वैभव के

तृष्णा के तो नहीं गये

साधन सुख के गये हमारे

रचना के तो नहीं गये…

Additional information

Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Publishing Year

2008

Pages

Pulisher

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