Stree Chintan

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Stree Chintan

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400.00 320.00

In stock

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Author: Pramila K.P.

Availability: 5 in stock

Pages: 176

Year: 2022

Binding: Hardbound

ISBN: 9788195428342

Language: Hindi

Publisher: Samayik Prakashan

Description

स्त्री चिन्तन

हिन्दी, मलयालम तथा अंग्रेजी में समान अधिकार से लेखन कर रही प्रमीला के पी स्त्री विमर्श की अधिकारी विद्वान हैं। ‘स्त्री चिन्तन’ उनकी नवीनतम पुस्तक है। इसके छह अध्यायों में उक्त विषय पूरी सहजता से खुलता है। ‘स्त्री चिन्तन’ की लेखिका बताती है कि इसका इतिहास वैविध्य भरा है। विविध देशों व प्रांतों में प्रवर्तित उसकी विविध धाराएं–उपधाराएं हैं। हर धारा की कार्यसूची में कुछ न कुछ नया चिन्तन आता रहता है। इसका कोई एक ठोस या अचंचल स्वरूप निर्धारण ठीक नहीं। वह इस धारणा को भी सही नहीं मानतीं कि विश्वभर की स्त्रियों की एक दिन में मुक्ति हो जाएगी। वह स्त्री चिन्तन की वैज्ञानिकता और उसके आगे आती अड़चनों पर विचार करती हैं। उनकी मान्यता है कि सकारात्मक दर्शन को आत्मसात करते समय उसकी जन्मभूमि को स्वीकारना जरूरी नहीं है। ‘दलित : शब्द, स्वत्व और स्त्रीत्व’ में वह इंगित करती है कि दलिताभिव्यक्ति की जैविकता जितना निरूपाय व स्वाभाविक है, उसके गठन और रूपायन का सवर्ण भाषा परिसर उतना विरोधी और प्रवंचनामय है। लेखिका ने ‘पददलित स्त्री : उपस्थिति व दखल’ में उभरकर आने वाली आवाज को ठीक ही तमाम तरह के सांस्कृतिक उपनिवेशों की प्रतिरोधी मुहिम स्वीकार किया है। प्रमीला के पी का चिन्तन निर्भीक और स्पष्ट है। वह ‘विषैली मर्दानगी’ और ‘मैं भी’ जैसे अध्याय में मर्दानगी की विषैली मानसिकता को उजागर करते हुए उसकी कमजोरियां रेखांकित करती हैं। उनका यह विचार पुस्तक को स्वागत योग्य बनाता है कि सभी तरह के लिंगजीवियों के लिए योग्य समान स्तर का व्यवहार होना चाहिए।

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Hardbound

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Language

Hindi

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Publishing Year

2022

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