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तिराहे पर तीन
‘‘इस उपन्यास में स्त्री जीवन की अनेक राहों की विविध परतों वाली कई कहानियाँ हैं – त्रासदीपूर्ण, अपनी मर्ज़ी से जीने की ज़िद से घायल कदमों की कहानियाँ, प्रेम पाने की लालसा और छले जाने की कहानियाँ, अपने ही घर-परिवार और सन्तानों से टकराव और दूर होते जाने की कहानियाँ।’’
– नवीन जोशी, वरिष्ठ पत्रकार
‘‘जीवन की जद्दोजहद, घर-बार, समाज, नौकरी की तमाम किरचों की चुभन समेटे हुए हताशा और निराशा से मीलों आगे की दूरी तय करती स्त्री के साहस और संकल्प की कथा है रजनी गुप्त के इस नवीनतम उपन्यास में।’’
– प्रो. शशिकला राय, प्रख्यात साहित्यकार
‘‘तिराहे पर तीन कथाकार रजनी गुप्त का अलग-अलग समय, पीढ़ी एवं वर्ग से आईं स्त्रियों का रूढ़ियों और वर्जनाओं को तोड़कर नई अस्मिताओं की खोज करता उपन्यास है।’’
-विवेक मिश्र, युवा कथाकार
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2021 |
Pulisher |
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