Ankit Chaddha

Ankit Chaddha

अंकित चड्ढा

अंकित चड्ढा का जन्म 21 दिसम्बर, 1987 को दिल्ली में हुआ था। बचपन से ही उनकी रुचि साहित्य और कला में भी दिखने लगी। दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रतिष्ठित हिन्दू कॉलेज से इतिहास में स्नातक करते-करते वे नाटक में पारंगत हो चुके थे। नुक्कड़ नाटक में उनकी विशेष दिलचस्पी थी। अध्ययन के उपरान्त कुछ वर्ष कॉरपोरेट मार्केटिंग में कार्य करने के बाद साहित्य और कला प्रेम ने उन्हें दास्तानगोई से जोड़ा।

सन् 2010 से अंकित ने दास्तानगोई की लगभग विलुप्त हो चुकी कला के पुनरुत्थान में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने न सिर्फ़ पुरानी दास्तानों को लोकजीवन में पुनर्जीवित किया बल्कि नए ज़माने की नई समस्याओं को दास्तानगोई के माध्यम से लोगों तक पहुँचाया। एक कलाकार एवं विचारक की दृष्टि से उन्होंने TEDx, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, IIT, IIM के साथ-साथ हार्वर्ड एवं येल सरीखे मंचों पर भी छात्रों एवं कला-प्रेमियों का मार्गदर्शन किया। अंकित के व्यक्तित्व की तरह उनका कार्य-क्षेत्र भी बहुआयामी था। एक तरफ़ उन्होंने परम्परागत दास्तानगोई को पुनर्जीवन दिया तो दूसरी ओर बच्चों के लिए कहानियाँ लिखीं। उनकी लिखी दो पुस्तकें—‘My Gandhi Story’ एवं ‘Khusrau—the man in riddles’ जो न सिर्फ़ बच्चों के बीच ख़ासी लोकप्रिय रहीं बल्कि राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाज़ी गई। दास्तानगोई में उन्होंने विरले प्रयोग किए और ऐसी दास्तानें गढ़ीं जिन्हें सुननेवालों के लिए ये कहानियाँ और किरदार बिलकुल जीवन्त हो गए। उन्होंने अपना पूरा जीवन इसी मिशन के नाम कर दिया। 9 मई, 2018 को एक दुर्घटना का शिकार होकर कला जगत का यह सूर्य सदा के लिए आकाश के सितारों में शामिल हो गया।

You've just added this product to the cart:

error: Content is protected !!