लेखक अयोध्या प्रसाद गुप्त ‘कुमुद’ इस अँचल के साहित्य-इतिहास तथा संस्कृति के प्रतिष्ठित अध्येता हैं। मूलतः वे अधिवक्ता तथा पत्रकार हैं किंतु शोध-अध्ययनों में गंभीर रुचि से उनकी विशिष्ट पहचान बन गई है। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झाँसी ने अपने आठवें दीक्षांत समारोह में उनकी इस साधना के लिए सर्वोच्च विशिष्ट सम्माना से सम्मानित किया था। देश विदेश के लगभग डेढ़ दर्जन प्रतिष्ठित सम्मान उन्हें प्राप्त हुए हैं। श्री कुमुद के कृतित्व को सम्मानित करते हुए माधवराव सप्रे समाचार-पत्र संग्रहालय भोपाल ने “अयोध्या प्रसाद गुप्त ‘कुमुद’ आँचलिक अध्ययन केंद्र” स्थापित किया है।
मौलिक कृतियाँ : जगनिक, इसूरी, कोच की रामलीला, सप्तदल, वुदेलखंड का लोकजीवन, बुंदेलखंड की फार्गे, बुंदेलखंड की काव्यात्मक कहावतों, कहावतों में लोकनीति, मूलचंद्र अग्रवाल-कृष्णानद गुप्त आदि। उनकी रचनाएँ विभिन्न शिक्षा बोर्डों के पाठ्यक्रमों में पढ़ाई जा रही हैं।
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