Baby Kambale

Baby Kambale

बेबी कांबले

मराठी साहित्य में दलित लेखन एक आन्दोलन भर नहीं है, वरन्‌ एक विचार है। दबी-कुचली, पिछड़ी और सताई जा रही जमात के जीवन और संघर्ष, व्यथा और प्रतारणा का बेबाक और धारदार शब्दों में रेखांकन करते हैं दलित लेखक नामदेव ढकाल, दया पवार और बेबी कांबले। बेबी कांबले इस धारा की एक प्रतिनिधि हस्ताक्षर हैं। वे इसलिए भी महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि उन्होंने जो कुछ सीखा है वह दलित जीवन की पाठशाला से ही सीखा है। औपचारिक शिक्षा से वंचित रहने के बावजूद बेबी कांबले के लेखन में जो वैचारिक धार है वह जिन्दगी के बीचोबीच खड़े रहने से मिली है। इसलिए यह अकारण नहीं है कि बेबी कांबले के इस आत्मकथात्मक उपन्यास ने छपते ही मराठी साहित्य में तहलका मचा दिया था। वयोवृद्ध लेखिका के इस उपन्यास से गुजरना हिंदी पाठकों के लिए एक रोमांचक और लोमहर्षक अनुभव होगा।

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