बालमुकुंद अग्रवाल (1926-92) ने इतिहास और समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त करने के पश्चात् कानून की पढ़ाई की, और 1955 में बंबई विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान पाया। 1958 में उन्होंने बंबई उच्च न्यायालय में वकालत आरंभ की। भारत के सर्वोच्च न्यायालय के वकील के रूप में 1959 में उनका नामांकन हुआ, जहाँ वह अपने अंतिम दिनों तक एक वरिष्ठ वकील के रूप में सक्रिय रहे।
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