डॉ. संजीव दीक्षित ‘बेकल’ गत 30 सालों से साहित्य सेवा में संलग्न हैं और अपनी कविता संग्रहों एवं लघु कथाओं के द्वारा हिंदी पाठक समुदाय से जुड़े हुए हैं। ‘बेकल’ जी का सर्वप्रथम काव्य संग्रह—’तिनका-एक सफरनामा’ 2017 में अनुराधा प्रकाशन दिल्ली द्वारा प्रकाशित हुआ था जिसको साहित्य समाज से अत्यधिक प्रशंसा मिली थी। उसके उपरांत दूसरा एकल काव्य संग्रह 2018 में अनुराधा जिसने पाठकों को जि़न्दगी के मर्म से साक्षात्कार कराया। इसके अलावा तीन साँझा अंतरराष्ट्रीय काव्य संग्रह में भी मुख्य कवि के तौर पर रचनाएँ प्रकाशित की।
भारतीय ज्ञानपीठ ने वर्ष 2019 में डॉ. संजीव दीक्षित ‘बेकल’ की तीसरी एकल काव्य एवं गज़ल संग्रह ‘धूप को निचोड़कर’ को प्रकाशित किया और पाठक वर्ग से अत्यधिक प्रशंसा प्राप्त हुई।
उनकी साहित्य साधना की यात्रा में नई कड़ी है—’उडऩा जानता हूँ’ काव्य एवं गज़ल संग्रह जिसमें पाठक पायेंगे जीवन दर्शन के विभिन्न रंग एवं रूप जोकि आपकी भावनाओं को नई उड़ान एवं दिशा देंगी।
डॉ. संजीव दीक्षित पिछले 23 वर्षों से मानव संसाधन एवं प्रगति में अंतरराष्ट्रीय कम्पनी में उच्च पद में पदासिन है और अपने योगदान के कारण सर्वप्रसिद्ध है।
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