जन्म : 15 अगस्त, 1941 को ग्राम नरेन्द्रपुर जिला सिवान (बिहार) में। 15 वर्ष की आयु में प्रयाग हिन्दी साहित्य सम्मेलन से ‘विशारद’ की परीक्षा उत्तीर्ण की। एम.ए. तथा बी.एल. करने के पश्चात् अगस्त 1967 में पटना उच्च न्यायालय में वकालत आरम्भ की। छात्र-जीवन से ही हिन्दी साहित्य से अनुराग। आपके लेख और यात्रा-संस्मरण विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं। 1983 में मास्को और 1986 में कोपेनहेगन विश्व-शान्ति सम्मेलन में शामिल हुए। भारत सोवियत मैत्री संघ के प्रतिनिधि के रूप में तत्कालीन सोवियत संघ की पाँच बार यात्रा की। 2006 में ऐप्सो के सात सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ चीन की यात्रा की। आप अब तक छ: महाद्वीपों के 75 देशों की यात्रा कर चुके हैं। हाल में आपने दक्षिण-पूर्व एशिया पर अपने भ्रमण के पश्चात् एक रोचक पुस्तक की रचना की है। गोर्की और प्रेमचंद के कृतित्व एवं जीवन-दृष्टिकोणों की सादृश्यता पर शोध-कार्य की प्रेरणा ली और इस विषय में पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त की।
हिन्दी साहित्य एवं अन्य सामाजिक विषयों पर आपकी 20 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। भारतीय सांस्कृतिक सम्बद्ध परिषद के सलाहकार समिति के सदस्य हैं। ऐप्सो के बिहार राज्य परिषद के महासचिव और राज्य के अनेक सांस्कृतिक संस्थाओं के पदाधिकारी भी हैं। आप कौमी एकता संदेश के संपादक भी हैं।
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