G N Dandekar translated Kashinath Joshi

G N Dandekar translated Kashinath Joshi

प्रख्यात मराठी साहित्यकार गो. नी. दांडेकर ने अपने बहु आयामी लेखन से मराठी साहित्य की असीम सेवा की है। उन्होंने पाँच ऐतिहासिक उपन्यास लिखकर महाराष्ट्र के शिव-काल को विलक्षण जीवन्त रुप में साकार किया है। ज्ञानेश्वर, तुकाराम, रामदास जैसे महान सन्‍तों की जीवनियों को उपन्यास के माध्यम से प्रस्तुत कर उन्होंने मनुष्य की ऊर्ध्वगामी शक्ति के मूर्त रूप को उभारा है। मराठी की अनेक बोलियों का प्रयोग कर महाराष्ट्र की ग्रामीण जनता की प्रकृति ओर स्थिति को प्रस्तुत किया है। कभी पौराणिक वातावरण की चेतना को उन्होंने पकड़ा है तो कभी सामाजिक जीवन की व्यथा को वाणी दी। अनेक नाटक, ललित निबंध, कहानियां लिखकर उन्होंने मराठी वाड्मय को समृद्ध किया है। भारतीय संस्कृति, भारतीय जनमानस और भारतीय स्त्री के तेजस्वी रूपों को अभिव्यक्ति देकर दांडेकरजी ने महाराष्ट्र के किशोरों, युवकों, वयस्कों-सभी में अस्मिता जगाने का प्रयास किया है।

ज्ञातव्य हो कि दांडेकरजी को विधिवत्‌ अध्ययन की सीढ़ियाँ चढ़ने का भाग्य नहीं मिला। फिर भी ऐसा विलक्षण, प्रतिभा – समृद्ध लेखन उन्होंने कैसे किया ? इस प्रश्न का उत्तर उन्होंने अपने ‘कुण्या एकाची भ्रमणगाथा’ और ‘स्मरणगाथा’ इन दो ग्रंथों के माध्यम से स्वयं ही दिया है।

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